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पाकिस्तान की सीमा पर अवस्थित जैसलमेर का मरुक्षेत्र सेना के संयुक्त हथियार प्रदर्शन के दौरान युद्ध का असली मैदान सा बन गया है। एक तरफ सेना के ताकतवर हेलिकॉप्टर्स से जवान रस्से के जरिए सीधे जमीन पर उतरते हैं तो दूसरी ओर रेगिस्तान में धूल का गुबार उड़ाते हुए टैंक दनदनाते हुए पूर्व निर्धारित लक्ष्यों पर गोले दाग कर उनका नामो निशान मिटा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इतने बड़े पैमाने पर पहली बार हो रहे तीनों सेनाओं के युद्धाभ्यास त्रिशूल की गतिविधियां जैसलमेर जिले की फायरिंग रेंज में बड़े पैमाने पर आयोजित की जा रही हैं। गौरतलब है कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के 30 हजार से ज्यादा सैनिक जैसलमेर के थार से लेकर गुजरात से सटे सरक्रीक के दलदली क्षेत्र तक में अपनी ताकत, दक्षता और हथियारों व संसाधनों की धमक दिखाने में जुटे हैं।
भारतीय सेना की थार रैप्टर ब्रिगेड के हेलिकॉप्टर ने दक्षिणी कमान के मरु ज्वाला और अखंड प्रहार अभ्यास के तहत अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इसमें हेलिकॉप्टर तेजी से निर्धारित स्थल पर पहुंचते हैं और उसमें सवार सैनिक मोटे रस्से के सहारे जमीन पर बला की फुर्ती से धरती पर उतर कर मोर्चा लेते हैं। इसके माध्यम से सेना की ओर से आसमान से जमीन तक अपनी पहुंच का प्रदर्शन किया। यह हेलिबॉर्न ऑपरेशन का हिस्सा है। गौरतलब है कि इसमें जवानों को दुश्मन के पीछे उतारा जाता है ताकि वे उन्हें संभलने का मौका दिए बिना उन पर टूट पडें़। सेना के ध्रुव, रुद्र, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर्स का प्रदर्शन रौंगटे खड़े करने वाला रहा।
संयुक्त अभ्यास के दौरान मरुभूमि में सेना के शक्तिशाली लेकिन फुर्तीले टैंकों का प्रदर्शन भी जबर्दस्त रहा। इसमें तेज गति से आगे बढ़ते टैंकों ने धूल का गुबार उड़ाते हुए लक्ष्यों पर सटीकता से निशाने लगाए और उसके गोलों से धमाके के साथ काल्पनिक शत्रु पर घातक हमले किए गए। बख्तरबंद गाडिय़ों ने भी इसमें हिस्सा लिया है। अभ्यास में सुदर्शन चक्र और कोणार्क कोर की यूनिट्स जब तेजी से आगे बढ़ती है तो ऊपर हवा में हेलिकॉप्टर उन्हें कवर देते हैं।
Updated on:
07 Nov 2025 09:04 pm
Published on:
07 Nov 2025 09:03 pm
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