
भारतीय सेनाओं की ओर से जैसलमेर के मरुस्थल से गुजरात के सरक्रीक क्षेत्र में चल रहे संयुक्त अभ्यास त्रिशूल के तहत सीमांत जैसलमेर क्षेत्र में भारतीय सेना ने ड्रोन से दमदार ढंग से लक्ष्यों पर हमला बोला। सैनिकों ने ड्रोन के माध्यम से आसमान से बम छोड़ कर काल्पनिक दुश्मन के ठिकानों को धमाके के साथ नेस्तनाबूद किया। यह सेना के ड्रोन पर आधारित कार्यक्रम का हिस्सा है। जिसके अंतर्गत ध्येय बनाया गया है कि हर जवान के पास चील जैसी नजर होगी। यह चील वाली नजर ड्रोन कार्यक्रम के जरिए संभव बनाई गई है। सेना की ओर से ड्रोन का बड़े पैमाने पर अपने स्तर पर उत्पादन भी किया जा रहा है। ये ड्रोन युद्ध के मैदान में अपनी अहम भूमिका अदा करने में सक्षम हैं।
ड्रोन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने का बीड़ा सेना की दक्षिणी कमान ने उठाया है। कमान ने ड्रोन का डिजाइन, उसका विकास और बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है। तकनीकी काम करने में सिद्धहस्त सेना की कोर ऑफ ईएमई यह काम देख रही है। सेना की ओर से इन ड्रोन्स के जरिए दुश्मन की हर हरकत पर पैनी नजर रखने, लक्ष्य पर सटीक वार करने और दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को जाम करना या धोखा दिया जा सकेगा। स्वदेश में निर्मित ड्रोनों का परीक्षण वर्तमान में चल रहे ऑपरेशन त्रिशूल में किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार स्वदेशी तकनीक पर निर्मित ये ड्रोन प्रत्येक परीक्षण में कामयाब साबित हुए हैं। आने वाले समय में सेना इसका इस्तेमाल जरूरत पडऩे पर युद्ध के मैदान में कर सकेगी। सूत्रों ने बताया कि ड्रोन की शक्ति प्राप्त होने से जवानों की ताकत अपने आप बढ़ जाएगी।
Published on:
05 Nov 2025 08:36 pm
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