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विंटर टूरिज्म की चमक, दिव्यांगों की चुनौतियां: इंतजार लंबा और विकल्प बेहद कम

जैसलमेर का यह विरोधाभास—टूरिज्म इंटरनेशनल, पर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थानीय लोगों—दिव्यांगों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है।

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जैसलमेर में सर्दी का मौसम पर्यटन की रौनक लेकर आता है। दिसंबर-जनवरी में शहर दुनिया भर के यात्रियों से भर जाता है—होटल फुल, रेत पर कैंप व्यस्त,और बाजारों में भीड़ उमड़ती हुई…। इस माहौल को गोल्डन सीजन कहा जाता है, लेकिन इस रौनक के बीच एक ऐसा वर्ग है जिसके लिए सर्दी और पर्यटन दोनों ही चुनौती बन जाते हैं—दिव्यांग नागरिक और दिव्यांग पर्यटक। विंटर टूरिज्म के बढ़ते ट्रैफिक ने जहां होटल कारोबारियों और ट्रेवल एजेंसियों को बड़ी राहत दी है, वहीं शहर की सुगमता की कमी ने दिव्यांग यात्रियों के लिए अनेक बाधाएं खड़ी कर दी हैं। जैसलमेर का यह विरोधाभास—टूरिज्म इंटरनेशनल, पर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थानीय लोगों—दिव्यांगों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है।

हकीकत: थोड़ा है, ज्यादा की जरूरत है….

सर्दियों में रोडवेज और प्राइवेट बसों की भीड़ बढ़ जाती है, लेकिन अधिकांश बसों में चढऩे के लिए ऊंची सीढिय़ां होती हैं, जो दिव्यांग जनों के परेशानी का सबब बनती है। व्हीलचेयर यूजर्स और चलने में कठिनाई झेल रहे यात्रियों के लिए यह स्थिति सीजन में और खराब हो जाती है।

व्यस्त बाजार सीजन में ' नो-गो जोन '

जैसलमेर का सदर बाजार, जिंदानी चौक सहित पर्यटन स्थलों के समीप रास्ते पीक सीजन में बेहद भीड़-भाड़ वाले होते हैं। यहां के फुटपाथ अक्सर टूटे हुए, असमान और कई जगह दुकानों के कब्जे में रहते हैं। व्हीलचेयर यूजर्स या बैसाखी का सहारा लेकर चल रहे यात्रियों के लिए यह असमर्थ मार्ग बन जाते हैं। परिणामस्वरूप, दिव्यांग पर्यटक सडक़ पर उतरने को मजबूर होते हैं—जहां बढ़ा हुआ ट्रैफिक उन्हें हर पल जोखिम में डाल देता है। एक दिव्यांग नागरिक ने कहा सीजन में तो सामान्य लोगों को जगह नहीं मिलती, हम कहां से गुजरें ? सडक़, फुटपाथ, बाजार—कहीं सुगमता नहीं। जैसलमेर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन शहर है, लेकिन सुलभ पर्यटन की दृष्टि से अभी काफी प्रयास करने होंगे। बस स्टैंड से लेकर किले और बड़ी हवेली तक—अधिकांश स्थानों पर रैम्प या तो हैं ही नहीं और यदि हैं भी, तो इतने खड़े और संकरे कि व्हीलचेयर चढ़ाना मुश्किल ही नहीं, खतरनाक हो जाता है। होटलों और कैंप रिसॉट्र्स में निजी स्तर पर कुछ व्यवस्था अवश्य हुई है, लेकिन सरकारी ढांचे में स्थिति बेहद कमजोर है।

बड़ा सवाल—क्या जैसलमेर बदलने को तैयार है ?

विश्व नि:शक्तता दिवस इस बार जैसलमेर में ऐसे समय आ रहा है, जब शहर में पर्यटकों की भीड़ चरम पर है। यह अवसर है कि पर्यटन के समानांतर दिव्यांगों की सुगमता पर भी गंभीर चर्चा किए जाने की जरूरत है।

दिव्यांग-हितैषी बनेगा जैसाण तो बढेेंगे मेहमान

एक्सपर्ट व्यू: पर्यटन विशेषज्ञ मेघराज परिहार बताते हैं कि विंटर टूरिज्म जैसलमेर की कमाई का सबसे बड़ा आधार है। यदि शहर दिव्यांग-हितैषी बने तो विदेशी पर्यटकों की संख्या 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आने वाले कई दिव्यांग पर्यटक सुविधा न होने से मायूस होते हैं। इस स्थिति में सुधार करने की दरकार है।
दिव्यांगों के लिए परीक्षा
सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दामोदर खत्री बताते हैं कि नि:शक्तजनों के लिए समाज में विचारधारा बदली है। कुछ और प्रभावी प्रयासों की दरकार है। पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर सुलभ मार्ग—ये बदलाव जैसलमेर को विश्व स्तर पर नई पहचान दिला सकते हैं। जैसलमेर की सर्द हवा पर्यटकों के लिए रोमांच है, लेकिन दिव्यांगों के लिए परीक्षा। इसके लिए सरकारी तंत्र को प्रभावी प्रयासों की जरूरत है।