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रेलवे, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधा की कमी, योजना का लाभ पाने आज भी कतार में लोग…

CG News: जांजगीर-चांपा जिले में स्थापना दिवस से लेकर 27 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते जांजगीर-चांपा जिले में अपेक्षाकृत विकास हुआ है, लेकिन विकास की गति बहुत धीमी है।

रेलवे, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधा की कमी, योजना का लाभ पाने आज भी कतार में लोग...(photo-patrika)
रेलवे, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधा की कमी, योजना का लाभ पाने आज भी कतार में लोग...(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में स्थापना दिवस से लेकर 27 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते जांजगीर-चांपा जिले में अपेक्षाकृत विकास हुआ है, लेकिन विकास की गति बहुत धीमी है। 25 मई 1998 को जांजगीर-चांपा जिला अस्तित्व में आया। तब जिले में केवल तीन उद्योग थे। छग प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद जिले में औद्योगिक घरानों ने अधिक रूचि ली और बड़ी संख्या में यहां उद्योग लगाने के लिए एमओयू भी हुए।

CG News: आखिर अब तो इनसे हमको मिले आजादी

पिछले 8 से 10 वर्षों में ही आधा दर्जन से ज्यादा पावर प्लांट अब उत्पादन करने के लिए तैयार हो चुके हैं। इन उद्योगों के लगने से जिले का विकास हुआ है, बेरोजगारों को रोजगार मिला है, क्षेत्र के गांवों की तस्वीर भी बदली है। शिक्षा के क्षेत्र में जिले को सेंट्रल स्कूल की सौगात मिली।

सेंट्रल स्कूल की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। इसके पहले जुगाड़ के भवन पॉलिटेक्निक में संचालित किया जा रहा था। अब विशाल भवन में पॉलिटेक्निक को शिफ्ट कर दिया गया है। शहरवासियों का कहना है कि आखिर स्वास्थ्य, रेलवे, शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों से हमको आजादी मिले।

फुटपाथ पर चलने की आजादी

लिंक रोड, नेताजी चौक से कचहरी चौक व विवेकानंद मार्ग में दुकानें सहित बैंक शाखाएं और स्कूल-कॉलेज संचालित हो रहे। इस कारण राहगीरों की आवाजाही बनी रहती है। लाखों रुपए खर्च कर फोरलेन रोड के साथ नाली बनाई है, जिसको ऊपर आरसीसी कर फुटपाथ के तौर उपयोग किया जाना है।

फुटपाथ ऊपर दुकानदारों ने सामान रख लिया है तो पैदल चलने वालों को रोड पर चलना पड़ रहा है। नियम के अनुसार व्यवसायिक प्रतिष्ठान व बैंक के लिए किराए दे रहे है तो मकान मालिक को पहले पार्किंग के लिए व्यवस्था बनाना बहुत जरूरी होता है।

पार्किंग के बाद ही मकान निर्माण करने की अनुमति मिलती है। लेकिन शहर में एसबीआई मेन ब्रांच, नैला रोड स्थित एसबीआई, पीएनबी सहित अन्य किसी बैंक के पास अपना पार्किग व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा दुकानदारों का भी कुछ ऐसा हाल है। पुलिस चालकों पर कार्रवाई करती है लेकिन आज तक दुकानदारों व मकान मालिकों पर कार्रवाई या नोटिस नहीं दिया गया है।

ट्रेंनों की लेटलतीफी से मिले आजादी

जांजगीर-नैला स्टेशन में एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव अब तक नहीं हो पाया है। जबकि जांजगीर-नैला को मॉडल स्टेशन का दर्जा भी प्राप्त हो चुका है। बावजूद जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं हो रहा। जबकि छोटे स्टेशन अकलतरा, सक्ती व चांपा में अधिकांश ट्रेनों का स्टापेज है।

विधायक ब्यास कश्यप आंदोलन भी कर चुके है। इसके बावजूद दुर्ग-दानापुर एक्सप्रेस, हीराकुूंड-अमृतसर एक्सप्रेस, बिलासपुर-पटनास, गोड़वाना एक्सप्रेस, उदयपुर-सालीमार एक्सप्रेस, आजाद हिंद एक्सप्रेस सहित अन्य सुपर फास्ट ट्रेनों की स्टापेज जांजगीर-नैला में नहीं मिली है।

जिला मुख्यालय में जलभराव से मिले आजादी

जिला मुख्यालय में जलभराव एक गंभीर समस्या है, खासकर बारिश के मौसम में। यह समस्या शहरीकरण, अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली, ड्रेनज सिस्टम फेल और भारी बारिश के कारण होती है। जलभराव से आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे यातायात बाधित होना, संपत्ति को नुकसान पहुंचना और बीमारियों का खतरा बढ़ना अन्य शामिल है। इस दिशा में जिम्मेदार जिला प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का उपाय नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा वर्षों से शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में कतार से मिले आजादी

100 बेड जिला अस्पताल में बेड की संख्या कम है। यहां 100 बेड में 200 मरीज भर्ती रहते हैं। जबकि यहां मेडिकल कॉलेज स्वीकृत होने व 100 करोड़ रुपए स्वीकृत होने के कारण हालत जस के तस बने हुए हैं। इसके लिए जगह भी चिन्हांकित कर लिया गया है। निर्माण कार्य तक शुरू नहीं हो पाया है, मेडिकल कॉलेज का जिलेवासियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही दबाव जिला अस्पताल में बड़ रहा है।

पोस्टरबाजों से आजादी…

सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अनेक लोग पोस्टरों का सहारा लेते है। जहां देखो वहीं अपना पोस्टर लगा देते है। इनके लालच ने शहर की दीवारों, बिजली खंभे और पेड़ों को भी नहीं छोड़ा। इसमें अधिकांश छुटभैय्या नेता शामिल है। ये प्रभारी मंत्री सहित अन्य मंत्री के पास सेल्फी लेकर उनके खास होने का धौंस दिखाते है। साथ ही जगह-जगह शहर में पोस्टर लगाकर शहर को खराब कर देते है। खासकर त्यौहार व कोई मंत्री के आगमन पर शहर बदरंग दिखने लगता है।