
मार्बल स्लरी से बनी मूर्तियों के साथ प्रीति बसवाला।
राजेश शर्मा
अनुपयोगी समझी जाने वाली मार्बल स्लरी के कई जगह पहाड़ बनने लगे हैं, वहीं उसी स्लरी का उपयोग कर चिड़ावा की युवती ना केवल स्वरोजगार कर रही है बल्कि अपनी साथी युवतियों व महिलाओं को रोजगार भी दे रही है। अब युवती का सपना इस बिजनेस को बड़े स्तर पर शुरू करने का है। इसके लिए वह सरकारी सहायता का इंतजार कर रही है।राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा शहर में सरकारी कॉलेज के पीछे रहने वाली प्रीति बसवाला पिछले करीब आठ साल से मार्बल स्लरी से प्रतिमाएं बना रही है। उसके हाथ से बनी गणेशजी, लक्ष्मीजी, खाटूश्यामजी, राधाकृष्ण, हनुमानजी, सरस्वती,शिव-पार्वती, लाफिंग बुद्धा सहित अनेक प्रतिमाओं की खूब मांग है। सबसे ज्यादा सरस्वती, खाटूश्यामजी व गणेशजी की प्रतिमाएं पसंद की जा रही है।
एमए कर चुकी प्रीति का दावा है कि यह प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस व अन्य प्रतिमाओं से काफी मजबूत है। अगर कम ऊंचाई से किसी कारण से गिर जाए तो भी सुरक्षित रहती है। इनका पाउडर बनाते समय ही मजबूत रंग का पेस्ट बना लिया जाता है। यह स्लरी में मिल जाता है, इस कारण मूर्ति को धोने पर भी रंग सामान्यत: उतरता नहीं है।
प्रीति की बनी मुर्तियां झुंझुनूं, चिड़ावा,पिलानी, सूरजगढ़, रींगस, सीकर, खाटूश्यामजी सहित अनेक जगह जा रही हैं। मूर्तियां बनाने के लिए रबर व सिलीकोन के सांचे प्रीति खुद बनाती है। उन पर डिजाइन करती है, जबकि रंग व शृंगार करने का कार्य अन्य महिलाओं से करवाती है। इसके बदले मूर्ति के आकार के अनुसार प्रति मूर्ति व पांच से पंद्रह रुपए तक का भुगतान करती है। इस कार्य के लिए वह करीब पंद्रह महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रही है। इसके अलावा युवतियों को मूर्तियां बनाने की कला भी सिखा रही है।
प्रीति के पिता राजकुमार बसवाला पहले विदेश में रहते थे। वहां वाहनों के पेंट करने का कार्य करते थे। कुछ कारणों से उनको विदेश छोड़कर वापस चिड़ावा आना पड़ गया। सबसे पहले उन्होंने यह काम सीखा, अब पूरा बिजनेस बेटी संभाल रही है। इस काम में प्रीति का भाई व मां सुशीला भी इसमें सहयोग करती हैं। उसकी मूर्तियां औसत पचास रुपए से लेकर पंद्रह सौ रुपए तक बिक रही है। प्रीति व उसकी मां ने बताया कि यदि सरकारी मदद मिल जाए तो वह अपना बिजनेस और बढ़ाना चाहती हैं। महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक विप्लव न्यौला ने बताया कि प्रीति की मूर्तियों को बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है। आगे जो भी मदद होगी वह भी की जाएगी।
Published on:
09 Nov 2025 01:27 pm
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