Major Shaitan Singh Bravery Story: स्वतंत्रता दिवस से पहले पूरे राजस्थान ही नहीं भारत देश के लिए गर्व की बात है। हाल ही में बॉलीवुड ने एक फिल्म का टीजर जारी किया है। फिल्म का नाम है 120 बहादुर….। लीड रोड में फरहार अख्तर हैं, जल्द ही यह दुनिया भर के सिनेमा हॉल में देखी जानी वाली है। लेकिन इससे पहले आपको बता दें कि यह लीड रोड राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मे फौजी शैतान सिंह भाटी पर फिल्माया गया है। एक तरह से यह उनकी बायोग्राफी है, जिसे अब दुनिया देखने वाली है। शैतान सिंह भाटी कौन थे…? हजारों की संख्या में आए चीनी सैनिकों को शैतान सिंह भाटी की सिर्फ 120 जवानों की टुकड़ी ने किस तरह से सबक सिखाया…? ये सब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
वीरों की भूमि जोधपुर जिले के बनासरा गांव में एक दिसंबर 1824 को जन्में शैतान सिंह भाटी ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया। पिता लेफ्टिनेंट कर्नल हेम सिंह भाटी र्फ्स्ट वर्ल्ड वॉर के योद्धा रहे। उन्हें देख ही बेटे ने सेना में जाने का निश्चय किया। जोधपुर के राजपूत हाई स्कूल और बाद में जसवंत कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सेना से जुड़े। तैनात जोधपुर लांसर्स में हुई। देश की आजादी के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में पोस्टिंग दी गई और फिर नागा हिल्स एवं गोवा मुक्ति अभियान में शैतान सिंह और उनकी टीम ने विशेष योगदान दिया।
1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में मेजर शैतान सिंह और उनकी टीम को तैनात किया गया। पोस्टिंग लद्दाख के चुशूल सेक्टर में स्थित रेलांग ला पोस्ट पर दी गई। जिस सी कंपनी को सुरक्षा का जिम्मा दिया गया उसकी कमार मेजर बन चुके शैतान सिंह के हाथ थी। समुद्र तल से करीब 17000 फीट ऊंची जगह जहां सांस लेना भी मुश्किल था, साथ ही माइनस तापमान में शैतान सिंह और उनकी टीम ने चीनी सैनिकों को सबक सिखाया। 18 नवंबर 1962 की तड़के करीब तीन हजार की चीनी सेना ने हमला किया, मेजर और उनकी 120 जवानों की टुकड़ी ने कम संसाधनों के बाद भी चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया। 120 में से 114 जवान शहीद हो गए। लेकिन टीम ने चीनी सेना का चुशूल एयरफील्ड कब्जाने का सपना तोड़ दिया। बताया जाता है कि भारी बर्फबारी के चलते वहां जाना संभव नहीं हो सका। ऐसे में करीब तीन महीने के बाद जब बर्फ पिघली तो एक चरवाहे ने मेजर और उनके साथियों के जमे हुए शव देखे। वे अंतिम पोजिशन में थे और उनके हाथों में हथियार थे।
इस नजारे को जिसने भी देखा उसका दिल दहल गया। बाद में मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चंद्र से सम्मानित किया गया। राजस्थान से लेकर लद्दाख तक उनकी याद में कई स्मारक बनाए गए। अब हाल में ही उन पर बनी फिल्म का टीचर जारी हुआ है। उनका नाम इतिहास में अमर हो गया है।
Updated on:
13 Aug 2025 12:14 pm
Published on:
13 Aug 2025 12:13 pm