राजस्थान में मानसून इस बार समय से पहले भले ही आ गया हो, लेकिन इस साल यह कमजोर साबित होता नजर आ रहा है। अधिकांश बारिश वाले हिस्सों में बादल कम बरसे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार पुरवाई भी दो चार दिन ही चली है। बंगाल की खाड़ी की हवा भी मारवाड़ तक मुश्किल से पहुंची है।
अगस्त के अधिकांश दिनों में तो पाकिस्तान से पश्चिमी हवा ही आ रही थी। यही कारण है कि पिछले 20 दिन से जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में बारिश नहीं हुई है। मानसून के हिमालय की तलहटी पर चले जाने को मानसून का ब्रेक कहते हैं। इस बार मानसून ने ब्रेक लिया नहीं, लेकिन पश्चिमी राजस्थान के लिए बगैर ब्रेक के ही मानसून का ब्रेक हो गया।
मौसम विशेषज्ञ मोहनलाल सुखाडि़या विवि के भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. नरपतसिंह राठौड़ ने बताया कि सामान्यत: मानसून के दिनों में बादलों की दो परतें काम करती है। बादलों की एक परत नीचे रहती है जो एक दिशा में मूव करती है। इसके ऊपर बादलों की दूसरी परत विपरीत दिशा में मूव करती है। इससे दोनों परतें आपस में रगड़ खाती है और बारिश होती है। इस साल इस तरह का फिनोमिना भी बहुत कम बना है।
मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बैक टू बैक सिस्टम बनने से मानसून को गति मिलेगी। इससे अगस्त के अंतिम सप्ताह में बरसाती मौसम रहेगा। जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान में गुरुवार से बारिश के आसार शुरू हो रहे हैं। शनिवार और रविवार को तेज बारिश की भी उम्मीद है।
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जोधपुर सहित प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में जुलाई महीने तक ही 300 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। जोधपुर में बारिश का औसत 360 मिमी है। बीते बीस दिनों से जोधपुर में बारिश नहीं है। जोधपुर में अब तक औसत से 40 प्रतिशत अधिक बरसात हुई है। जोधपुर जिले में एक जून से बीस अगस्त तक बारिश का औसत 217.3 मिमी है जबकि अब तक 303 मिमी बरसात हो चुकी है।
Updated on:
20 Aug 2025 09:55 pm
Published on:
21 Aug 2025 06:00 am