जोधपुर में नवजात बच्चों का केयर प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों से बेहतर है। इसीलिए इसे नेशनल हेल्थ मिशन से पहली रैंक मिली है। यह रैंक एमडीएम अस्पताल के स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट को मिली है। इसे कई पैरामीटर पर परखा जाता है। खास बात यह है कि पिछले दो महीने से यह जोधपुर के मेडिकल सिस्टम की यह बादशाहत कायम है।
इन पैरामीटर पर खड़ा है जोधपुर
- डिस्चार्ज के समय सर्वाइवल रेट 93 से 97 प्रतिशत है।
- मृत्युदर 3 से 7 प्रतिशत से बीच है।
- रेफरल 0 प्रतिशत है।
- बेड एक्युपेसी 114 से लेकर 226 प्रतिशत के बीच है।
इन बातों की भी हुई जांच
1.5 से 2.5 किलो के बच्चे में सर्वाइवल रेट, 34 से 37 सप्ताह के बच्चे का स्वास्थ्य, सेप्टिक के विरुद्ध एंटीबायोटिक का उपयोग, तीन दिन से कम भर्ती बच्चे कितने जीवित रहते हैं सहित अन्य मानक भी जांचे जाते हैं। खास बात यह है कि इन सभी मानक में जोधपुर के एमडीएम अस्पताल का यह एनआईसीयू प्रदेश के औसत से अच्छा काम कर रहा है।
क्या है एसएनसीयू
ऐसे बच्चे जो जन्मजात की किसी बीमारी से ग्रस्त हो जाते है और कोई विकार लगता है। इसके अलावा जन्म के समय जिनका स्वास्थ्य खराब होता है, उन्हें एमसीएच एसएनसीयू में रखा जाता है। यह एक प्रकार से छोटे बच्चों का आईसीयू यूनिट है। जोधपुर में उम्मेद अस्पताल के अलावा एमडीएम अस्पताल में भी एक वार्ड संचालित है। इसमें 60 बेड की क्षमता है। जो कि रैंकिंग मिली है वह इसी वार्ड की परफॉर्मेंस से मिली है।
पिछले एक साल से टॉप 5 में
शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष पारख ने बताया कि वैसे तो पिछले दो माह से हम प्रदेश में अव्वल है। लेकिन इससे पहले भी हम लगातार टॉप 5 में ही रहे हैं। हमारा सिस्टम-उपकरण और साथ ही स्टाफ का डेडीकेशन इसमें अहम योगदान दे रहा है।
न्यूबॉर्न बेबी केयर में हम लगातार अच्छा परफाॅर्म कर रहे हैं। अच्छी रैंक आना यह दर्शाता है कि हम मरीजों को बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं। इसे आगे भी बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।
- डॉ. नवीन किशोरिया, अधीक्षक, एमडीएम अस्पताल
Published on:
06 Jun 2024 09:34 pm