
फाइल फोटो पत्रिका
कटनी. त्योहारों के सीजन की राजस्व अफसरों व दफ्तरों में खुमारी जमकर चढ़ी हुई है, इसका असर राजस्व विभाग के लंबित प्रकरणों को देखकर साफ लगाया जा सकता है। या फिर यूं कहा जाए कि जनता-जनार्दन के काम निपटाने में जिम्मेदारों का मन नहीं लग रहा। राजस्व न्यायालयों के कामकाज पर कुछ माह में बड़ा असर पड़ा है। कटनी जिले के तहसीलदार, नायब तहसीलदार और एसडीएम न्यायालयों में इन दिनों हजारों प्रकरण लंबित पड़े हैं। स्थिति यह है कि 27 अक्टूबर तक की स्थिति में कटनी जिला प्रदेश के 55 जिलों में 37वें नंबर पर व संभाग में 8वें पायदान पर है।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार विभिन्न न्यायालयों में गत वर्ष तक 16 हजार 499 प्रकरण लंबित हैं, जबकि विगत माह तक पेडेंसी का आंकड़ा 36 हजार 988 है। अक्टूबर माह में आरसीएमएस पोर्टल में 3 हजार 232 प्रकरण नए दर्ज हो गए हैं। पंजीकृत प्रकरणों की संख्या 40 हजार 220 है, जबकि कुल पंजीकृत प्रकरण 56 हजार 719 है। गत माह तक निराकृत प्रकरणों की संख्या 37 हजार 599 है, जबकि अक्टूबर माह में कुल 3587 प्रकरणों का ही निकाल हुआ है। याने कि 42 हजार 930 प्रकरण निराकृत हुए हैं। यह आंकड़ा 75.69 प्रतिशत ही है। अधिकारियों की व्यस्तता के कारण नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा और रिकॉर्ड सुधार जैसे महत्वपूर्ण मामलों का निराकरण ठप हो गया है। परिणामस्वरूप आम नागरिकों को रोजाना दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
जिले के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) न्यायालयों में भी मामले पेंडिंग चल रहे हैं। इनमें भूमि विवाद, सीमांकन, नामांतरण और राजस्व अपील संबंधी प्रकरण प्रमुख हैं। उपखंड अधिकारी कटनी में 143, ढीमरखेड़ा 219, विजयराघवगढ़ 466, बहोरीबंद 529 मिलाकर 1357 मामले लंबित चल रहे हैं। कटनी उपखंड में कोई नए केस आरसीएमएस पोर्टल में दर्ज नहीं हो रहे। 6 माह से अधिक के 70 प्रकरण आदेश के लिए लंबित चल रहे हैं। कन्हवारा व मझगवां की रिपोर्ट भी संतोष जनक नहीं है। अन्य तहसील व नायब तहसीलदारों के कामकाज सवालों में हैं। कई न्यायालयों के हाल ऐसे हैं कि 80 के आसपास ही नहीं पहुंच रहे हैं। बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा विगढ़ में निराकरण का प्रकरण 60 फीसदी से भी कम है। यहां पर नए केस दर्ज नहीं हो रहे। बरही व बड़वारा में सैकड़ों केस रिकॉर्ड सुधार के लंबित हैं। कटनी अनुभाग की बात की जाए तो उपखंड अधिकारी 649, नजूल अधिकारी 40, नायब तहसीलदार मुड़वारा, तहसीलदार कटनी नगर 1114 प्रकरण लंबित चल रहे हैं। पिछले दो माह से प्रगति लगातार कम हो रही है। सूत्रों के अनुसार केवल कटनी क्षेत्र में ही सैकड़ों प्रकरण महीनों से लंबित पड़े हैं। त्योहारी अवकाश और अधिकारियों की मीटिंगों में व्यस्तता के चलते नियमित सुनवाई नहीं हो पा रही है। नतीजा यह है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के नागरिकों के भूमि संबंधी दस्तावेजों के कार्य ठप से हो गए हैं।
जिले के न्यायालयों में प्रकरणों की बात की जाए तो लगभग 25 फीसदी माले लंबित हैं, तबकि इनका निराकरण शतप्रतिशत होना चाहिए। माह के अंत में शेष प्रकरणों की संख्या 13 हजार 789 थी। तीन माह से 6 हजार 860 प्रकरण निराकरण के इंतजार में फाइलों में धूल फांक रहे हैं। 3 से 6 माह तक लंबित मामलों का आंकड़ा 1991 है, जबकि 6 माह से एक वर्ष तक के प्रकरण 967 हैं जो अफसरों की चौखट पर किसी न किसी अड़ंगेबाजी के तहत लटके हैं। एक से दो वर्ष के बीच 870 प्रकरण उलझकर रह गए हैं। जबकि 2 से 5 वर्ष से 3 हजार 79 प्रकरणों में लोगों को न्याय प फैसले की उम्मीद धुंधली पड़ रही है। 21 प्रकरण ऐसे भी हैं तो पांच वर्ष से अधिक समय से निराकरण की बाट जोह रहे हैं।
जिले में किसी नायब तहसीलदार व तहसीलदार न्यायालय का काम 100 फीसदी नहीं हैं। नाब तहसीलदार बिलहरी, पिपरियाकला, खमतरा, तहसीलदार ढीमरखेड़ा ही 90 प्रतिशत के ऊपर हैं। तहसीलदार रीठी, बड़वारा, स्लीमनाबाद, कटनी, नायब सिलौड़ी, कन्हवारा, कौडिय़ा, विजयराघवगढ़, कारीतलाई 80 प्रतिशत के नीचे हैं। अन्य कई तहसीलें भी बहुत पीछे चल रही हैं।
खास-खास
वर्जन
15 दिनों अभियान चलाकर राजस्व प्रकरणों के निराकरण के निर्देश दिए गए हैं। सीमांकन के प्रकरणों में तेजी लाने अधिकारियों को कहा गया है। न्यायालयीन कार्य से संबद्ध तहसीलदार व नायब तहसीलदारों को प्रतिदिन करीब 50 राजस्व मामलों की सुनवाई करने कहा गया है, ताकि इस कार्य में प्रगति आ सके। प्रकरणों की कॉज लिस्ट को आरसीएमएस पोर्टल से ऑनलाईन जेनरेट करने की भी हिदायत दी है।
आशीष तिवारी, कलेक्टर।
Published on:
24 Nov 2025 08:48 pm
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