Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Pandit Pradeep Mishra: चौथे दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, पंडित प्रदीप मिश्रा बोले: हर श्वास में ईश्वर का स्मरण ही जीवन की पहचान

Pandit Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा अपने ओजस्वी प्रवचनों से शिवभक्तों को शिवमहिमा का बोध करा रहे हैं। कथा आयोजन के चौथे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

1 minute read
Google source verification
Pandit Pradeep Mishra: चौथे दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, पंडित प्रदीप मिश्रा बोले: हर श्वास में ईश्वर का स्मरण ही जीवन की पहचान

पंडित प्रदीप मिश्रा (Photo Patrika)

Pandit Pradeep Mishra: कवर्धा जिला मुख्यालय से सटे ग्राम घुघरीखुर्द में इन दिनों शिव महापुराण एवं सुरभि यज्ञ का भव्य आयोजन हो रहा है। सुप्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपने ओजस्वी प्रवचनों से शिवभक्तों को शिवमहिमा का बोध करा रहे हैं। कथा आयोजन के चौथे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने कहा कि जैसे किसी यात्रा में जाने के लिए पहचान पत्र आवश्यक होता है चाहे वह आधार कार्ड हो या पैन कार्ड। वैसे ही इस जीवन यात्रा में परमात्मा का नाम ही हमारी पहचान है। जब तक सांस है तब तक ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए, क्योंकि कौन.सी सांस अंतिम हो जाए, यह कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा हम प्रतिदिन लगभग 21 हजार 600 सांसें लेते हैं और प्रत्येक सांस में भगवान का नाम लेना चाहिए। इससे बड़ा कोई साधन नहीं।

कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कवर्धा की पावन भूमि पर शिव कथा का आयोजन होना बड़े सौभाग्य की बात है। कथा सुनने और कहने वाले दोनों ही भाग्यशाली हैं, क्योंकि यह आयोजन आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम बनता है। सोमवार को कथा का समापन दिवस रहेगा। सुबह 11 बजे तक कथा आयोजित रहेगी।

अपने प्रवचन में पंडित मिश्रा ने माता पार्वती और गंगा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जीवन की लहरें भी गंगा की धाराओं की तरह कभी तेज, कभी शांत होती हैं। जिसने जीवन में संघर्ष झेला है वही दूसरों के दुख को समझ सकता है। जो बिना परिश्रम के सुख पाता है वह उसे टिकाकर नहीं रख पाता। उन्होंने कहा ईश्वर सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है वह वृक्षों में, आकाश में, जल में, पत्थर में, सजीव और निर्जीव सबमें है। कंकण में शंकर हैं जल में शंकर हैं आकाश में शंकर हैं। ऐसा कोई स्थान नहीं जहां भगवान शंकर न हों।