CG News: किसी भी राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता दिवस बहुत ही भावनात्मक व रोमांचक दिवस होता है। भारतवर्ष के लिए भी 15अगस्त की तिथि गौरवपूर्ण, भावनात्मक व रोमांच का अनुभव कराने वाला दिन है।
सम्पूर्ण देश की तरह कवर्धा के नागरिकों के द्वारा 1947 से ही स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसके आयोजन में 1998 में परिवर्तन आया जब कवर्धा जिला बना, लेकिन इसके पूर्व का आयोजन कैसा होता था। विगत 55 वर्ष पूर्व की बात आज की पीढ़ी को जानना चाहिए..। सन् 1970 की स्थिति में स्वतंत्रता दिवस पर सबसे महत्वपूर्ण प्रभातफेरी का हुआ करता था।
प्रात: 6.30बजे विद्यालयों में विद्यार्थी इकट्ठे होते थे और विद्यालयों में झंडारोहण कर नगर-गांव में प्रभात फेरी के लिए शिक्षक, विद्यार्थी तीन-तीन की लाइन में नारे लगाते हुए और दो विशेष गीत उस समय प्रचलित था उसे भाव विभोर होकर गाते हुए चलते थे। भारत देश हमारा प्राणों से प्यारा। इसी गंगा इसी में यमुना इसी में है तीनों धाराएं प्राणों से प्यारा। और विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा।
जुलूस भारतीय स्वतंत्रता की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए कवर्धा के गांधी मैदान में स्थापित जय स्तंभ के पास पहुंचकर नगर के प्रमुख लोगों की गरिमामय उपस्थिति में झंडारोहण किया जाता था और गणतंत्र दिवस में झंडा फ हराया जाता था। अब उस दौर के सारी व्यवस्थाएं पूरी तरह से बदल चुकी है।
सन् 1998 में जब कबीरधाम जिला बना तब प्रथम जिला स्तरीय आयोजन सरदार पटेल मैदान में किया गया जिसमें यह व्यवस्था बनाई गई कि नगर के सभी विद्यालयों में झंडारोहण का कार्य संपन्न करके प्रात: 8.30 बजे तक जिला स्तरीय आयोजन स्थल पर पहुंचना होता है। समय के साथ स्थान में भी बदलाव किया गया। करपात्रीजी स्कूल मैदान उसके बाद अब पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजन होता है।
गांधी मैदान में होता था स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन
उस समय झंडारोहण करने वाले को अनिवार्यत: सफेद रंग की गांधी टोपी और खादी का वस्त्र धारण करना पड़ता था। झंडारोहण के बाद राष्ट्र गान और आजादी पर भाषण होते थे तत्पश्चात विद्यार्थी वापस जाते समय रानी झांसी बालोद्यान में झंडारोहण में भाग लेते और अपने-अपने विद्यालयों में वापस जाते वहां पर मिष्ठान्न वितरण किया जाता था।
Updated on:
15 Aug 2025 02:04 pm
Published on:
15 Aug 2025 02:03 pm