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गाय चराने जंगल गए चरवाहे को बाघ ने बनाया शिकार, अगले दिन क्षत-विक्षत मिला शव, इलाके में दहशत का माहौल

Tiger killed villager: चरवाहे का आधा क्षत-विक्षत शरीर रविवार सुबह कान्हा टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र सूपखार के घने जंगल में मिला, जिसके बाद बाघ द्वारा शिकार किए जाने की आशंका लगभग पुष्टि के स्तर पर पहुंच गई है।

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कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघ का हमला (फोटो सोर्स- पत्रिका)

कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघ का हमला (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Tiger attack in Chhattisgarh: कबीरधाम जिले के चिल्फी क्षेत्र के ग्राम सिंघनपुरी में शनिवार शाम से लापता चरवाहा गुनीराम यादव(65) की मौत ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। चरवाहे का आधा क्षत-विक्षत शरीर रविवार सुबह कान्हा टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र सूपखार के घने जंगल में मिला, जिसके बाद बाघ द्वारा शिकार किए जाने की आशंका लगभग पुष्टि के स्तर पर पहुंच गई है।

घटना से जुड़े तथ्यों के अनुसार गुनीराम यादव रोज की तरह शनिवार को अपनी गायों को लेकर जंगल के रास्ते सूपखार की ओर गए थे। यह इलाका कान्हा टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से सटा हुआ है और यहां बाघों व अन्य हिंसक वन्यजीवों की आवाजाही लगातार बनी रहती है। शाम होने पर भी जब गुनीराम घर नहीं लौटे, तो परिजनों और गांववालों को चिंता हुई। ग्रामीणों ने आसपास के जंगलों में खोजबीन शुरू की लेकिन अंधेरा गहराने के कारण उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसी बीच गुनीराम और उनके मवेशियों की स्थिति को लेकर गहरा संदेह होने लगा।

Tiger attack in Chhattisgarh: इलाके में फैली दहशत

इलाके में बाघ की मौजूदगी से ग्रामीण पहले से ही भयभीत थे, इसलिए देर रात मामला वन विभाग तक पहुंचाया गया। वन विभाग, स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस टीमों ने संयुक्त रूप से पूरे क्षेत्र को घेरते हुए जांच प्रारंभ कर की। घटना ने न केवल सिंघनपुरी और आसपास के गांवों में दहशत फैला दी है बल्कि इस बात को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या क्षेत्र में सक्रिय कोई बाघ आदमखोर हो चुका है।

सूचना पर चिल्फी रेंज और कवर्धा वन मंडल की टीम तुरंत सक्रिय हुई। रातभर सर्च ऑपरेशन चलता रहा, लेकिन किसी भी तरह का स्पष्ट सुराग नहीं मिला। हालांकि झाड़ियों में संघर्ष के निशान और मवेशियों के तितर-बितर होने के संकेत प्राप्त हुए जिससे हमले की आशंका मजबूत होती गई।

दूसरे दिन झाड़ियों के बीच मिला आधा शरीर

रविवार सुबह सूर्योदय होते ही वन विभाग की टीमों ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से दोबारा तलाशी शुरू की। सघन तलाश के दौरान सूपखार परिसर के कक्ष क्रमांक 314 रनवाही वन परिक्षेत्र में बाघ के खरोंच और घसीटने के निशान दिखाई दिए। इन निशानों का पीछा करते हुए कुछ ही दूरी पर टीम को चरवाहे का आधा क्षत-विक्षत शरीर मिला।

शव की हालत देखकर प्रारंभिक तौर पर साफ हो गया कि हमला किसी हिंसक जानवर ने किया है और चूंकि यह क्षेत्र बाघों की सक्रिय सीमा के बीच आता है, इसलिए विशेषज्ञ इसे बाघ का हमला ही मान रहे हैं। शव मिलने वाली जगह कवर्धा वन मंडल सीमा से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा जो पंचनामा बनाया गया है उसमें बाघ का उल्लेख किया गया है।

वन अधिकारी ने कही ये बात

कवर्धा वन मंडलाधिकारी निखिल अग्रवाल ने बताया कि चूंकि मामला कान्हा क्षेत्र का है तो जो भी कार्रवाई है वहीं से होगी। वन विभाग ने शव को मध्यप्रदेश पुलिस को सौंप दी है। गढ़ी पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, ताकि हमले की पुष्टि वैज्ञानिक रूप से की जा सके। आगे की कार्रवाई गढ़ी पुलिस करेगी। चूंकि प्रतिबंधित क्षेत्र है इसलिए मुआवजे का प्रावधान भी नहीं है।

जंगल में जाना बंद

घटना के बाद वनांचल क्षेत्र सिंघनपुरी, रनवाही और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने पशु चराने और चारा लेने जंगल जाने से इंकार कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है यदि बाघ इंसान का शिकार करने लगा है तो यह गंभीर खतरे की घंटी है। वहीं वन विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गश्त बढ़ा दी है और क्षेत्र में लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है।

मप्र का अमला पहुंचा

घटना कान्हा टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र सूपखार से जुड़ी है, इसलिए मध्यप्रदेश वन अमला तत्काल मौके पर पहुंची। कवर्धा वनमंडल और एमपी के सूपखार रेंज की संयुक्त टीम ने शव का पंचनामा किया। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि आसपास मिले पंजों के निशान, जमीन पर घसीटने के पैटर्न और शव की अवस्था यह इशारा करती है कि यह हमला बाघ का ही है। अंतिम पुष्टि डीएनए फॉरेंसिक जांच से ही की जाएगी।