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निर्यात पर रोक से प्याज के भाव पांच रुपए किलो, 40 गांवों में किसान लामबंद, स्वतंत्र आंदोलन में रेल रोकेंगे किसान

देश में प्याज निर्यात पर रोक लगाए जाने से मंडी में भाव गिर गए हैं। मंडियों में भाव नहीं मिलने से 40 गांवों में प्याज उत्पादक किसान लामबंद हो गए हैं। अन्नदाता गांव-गांव चौपाल कर स्वतंत्र आंदोलन की तैयारी में है।

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खंडवा

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Rajesh Patel

Nov 10, 2025

Onion

मंडी में भाव नहीं मिलने से किसानों ने प्याज की उपज में छोंड़ीं भेंड-बकरियां

देश में प्याज निर्यात पर रोक लगाए जाने से मंडी में भाव गिर गए हैं। मंडियों में भाव नहीं मिलने से 40 गांवों में प्याज उत्पादक किसान लामबंद हो गए हैं। अन्नदाता गांव-गांव चौपाल कर स्वतंत्र आंदोलन की तैयारी में है।

किसानों ने की गांव-गांव में बैठक, करेंगे स्वतंत्र आंदोलन

रविवार की शाम कोरगला, बाड़िया, सिरपुर, पोखर, टिकरिया, कालजियाखेड़ी समेत दस से अधिक ग्रामों में किसानों की बैठक हुई है। बैठक के दौरान किसानों ने कहा कि चालीस से अधिक ग्रामों में दस हजार एकड़ से अधिक प्याज की फसल तैयार है। उत्पादन पांच लाख क्विंटल से ज्यादा होता है। निर्यात बंद होने के कारण मंडी में किसानों को प्याज का भाव नहीं मिल रहा है।

मंडी में पांच से छह रुपए किलो भाव

किसानों का कहना है कि मंडी में पांच से आठ रुपए किलो भाव मिल रहा है। इससे तो आधी लागत भी नहीं मिल रही है। भेरूखेड़ा में सुंदरलाल, कोरगला में जय किशन ने बताया कि तीन एकड़ में प्याज की बोवनी की थी। मंडी में पांच से छह रुपए किलो भाव है। लागत भी नहीं निकल रही है। इससे भेड़-बकरी को चरा दिया है। कई किसानों ने कहा कि प्याज तैयार है। भाव कम है, प्याज की खोदाई कर मंडी तक ले जाने में अधिक खर्च हो जाएगा। इस लिए रोटावेटर से जोताई कर दिए। चौपाल में किसानों ने ऐलान किया है कि किसान किसी संगठन की बजाए स्वतंत्र होकर 15 नवंबर को रेल मार्ग रोकने का काम करेंगे।

लागत 80 हजार एकड़, उत्पादन सिर्फ 40 हजार रुपए

प्याज की उपज तैयार करने प्रति एकड़ 70-80 हजार रुपए खर्च आ रहा है। उत्पादन 50 क्विंटल है। वर्तमान भाव 5-8 रुपए प्रति किलो है। औसत प्रति किलो 8 रुपए लिया जाए तो इस हिसाब से 40 हजार रुपए प्रति एकड़ उत्पादन है। इस हिसाब से लागत की आधी राशि भी नहीं मिल रही है।

ऐसे समझें लागत : प्रति एकड़ 75 से 80 हजार रुपए

किसान सुभाष पटेल के अनुसार बारिश में प्याज की प्रति एकड़ लागत औसत 75-85 हजार रुपए है। कली लगाने, बेड तैयार करने में 3500, चारा मारने की दवाई 2000, बीज की नर्सरी 2500, दवाई स्प्रे 5000, तीन माह में स्प्रे व खाद का खर्च 9000, प्रति एकड़ रोपा लगाने 10,000, कली का सीड ट्रीटमेंट 2000 रुपए। निराई गुड़ाई 2000 रुपए। उपज तैयार होने पर कली उखाड़ने पर 11000, तौल कांटा-मंडी तक किराया पर 7000 खर्च होता है। अन्य छोटे-छोटे खर्च हैं। कुल मिलाकर 75 से 85 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता।