जनजातीय कार्य विभाग में एससी-एसटी, ओबीसी और सामान्य के पद रिक्त नहीं, पांच साल से लगा रहे चक्कर, भोपाल कार्यालय में फाइलों पर जमी धूल, अफसर नहीं दे पा रहे एनओसी
जब घर का मुखिया चला जाता है, तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है, ऐसी में जब सरकार भी मुंह मोड़ ले तो जिंदगी अंधेरे में डूब जाती है। यही दर्द वे 18 परिवार झेल रहे हैं, जिनके वारिसों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल रही है। नौकरी की उम्मीद में वारिस जनजातीय विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, विभागीय अधिकारी यह कहकर लौटा रहा है कि पद खाली नहीं हैं।
अनुकंपा नियुक्ति को लेकर यह हाल तब है, जबकि जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह का यह गृह जिला है। दरअसल, जनजातीय कार्य विभाग में बीते सालों में 18 कर्मचारियों की आकस्मिक मृत्यु हुई है। इनमें कुछ का निधन कोविद के समय हुआ था। नियमों के मुताबिक, इनके योग्य वारिसों को नियुक्ति दी जानी है। विभाग की ओर से नियुक्ति को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इनमें से कुछ वारिसों को पांच सालों से अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है।
इधर, अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि अनुकंपा के लिए स्वीकृत पद ही नहीं हैं और फाइल वरिष्ठ कार्यालय भेज दी गई है। बता दें कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए सामान्य का एक, पिछड़ा वर्ग के 5, एससी के 8 और एसटी के चार आवेदन लंबित पड़े हैं।
छह साल से एनओसी का इंतजार
अनामिका उइके के पिता सुदेश उइके की मृत्यु 18 जुलाई 2002 को हुई थी। अनामिका ने पिता की मृत्यु के 17 साल बाद 2019 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। डीसीए और बीएड की डिग्री होने के बावजूद सहायक ग्रेड-3 का पद रिक्त नहीं होने से नौकरी नहीं मिल पाई है। मामला वरिष्ठ कार्यालय में लंबित पड़ा है।
पांच साल से कागजों में उलझी प्रक्रिया
राहुल पंचोरे की मां ममता पंचोरे की मृत्यु 2020 में हुई थी। राहुल अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। कलेक्टर कार्यालय ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए पॉलीटेक्निक कॉलेज को पत्र लिखा। पाँच साल बीत चुके हैं, लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
चार साल से जिला स्तर पर अटका प्रकरण
दीपक असलकर ने अपने पिता औकारलालअसलकर की मृत्यु के बाद 2021 में आवेदन किया। बीए, डीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बावजूद अब तक उनकी नौकरी नहीं लग पाई है। उनका प्रकरण जिला स्तर पर अटका हुआ है और कब तक स्वीकृति मिलेगी, यह पता नहीं है।
तीन साल से नौकरी का इंतजार
मनोज लौवंशी के पिता पूनम लौवंशी उच्च श्रेणी शिक्षक थे, जिनका 2020 में निधन हुआ। मनोज ने 2022 से एनओसी का इंतजार किया, लेकिन पिछड़ा वर्ग का पद रिक्त नहीं होने से उन्हें एनओसी नहीं मिली। उनका प्रकरण वरिष्ठ कार्यालय भेजा गया, जहाँ फाइल अब भी अटकी पड़ी है।
इनकी अनुकंपा नियुक्तियां भी रुकी पड़ी हैं
मनीष देव ओसवाल, तनवंत सिंह देवड़ा, शुभम दांगोरे, राजेश बघेल, कृष्णपाल आलसे, सौरभ साईंचर, नितिन सिलाले, जितेंद्र सराठे, धीरज गोदी, उमंग पॉलीवाल, रविंदर कास्डे, देवीलाल करेन्या, वैभव यदुवंशी जैसे कई नाम हैं जो इसी इंतजार की कतार में खड़े हैं।
इनका कहना : संतोष शुक्ला, एसी, ट्राइवल, खंडवा
अनुकंपा नियुक्ति के अधिकांश पद रिक्त नहीं हैं। लंबित प्रकरणों को वरिष्ठ कार्यालय भेजा गया है। सामान्य और ओबीसी वर्ग के एक भी पद रिक्त नहीं हैं। एससी-एसटी वर्ग के रिक्त पदों पर कार्रवाई प्रचलन में है। ज्यादातर मामलों में एनओसी नहीं मिली है। इनके मिलते ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
Published on:
12 Aug 2025 11:47 am