Jan Dhan accounts closed: एक समय लोगों की पहली पसंद रहे जनधन खातों से अब मोह भंग हो रहा है। समय के साथ 50 फीसदी से अधिक खाते इनएक्टिव या बंद हो चुके हैं। इसे लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से सख्त आदेश हैं, कि इन खातों को जल्द से जल्द चालू कराया जाए। हाल ही में आरबीआई, रायपुर के जनरल मैनेजर कोरबा प्रवास पर थे। उन्होंने बैंक द्वारा आयोजित शिविर में मौके से ही 50-60 खातों को चालू करवाया था और इन बंद खातों पर गहरी चिंता जताई थी।
अब जिले के सभी बैंकर्स बंद खातों की लिस्टिंग का इन्हें फिर से चालू कराने के प्रयास में हैं। बंद पड़े खातों को फिर से चालू करना बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़ी चुनौती है। अकेले कोरबा जिले में लगभग 4 लाख खाते बंद हो चुके हैं। ज्यादातर जनधन खाते ऐसे हैं जिनमें सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं, फिर चाहे वह महतारी वंदन हो या फिर किसान सम्मन निधि। इनकी रकम डीबीटी के माध्यम से डिपॉजिट होती है। यदि यह खाते बंद हुए तो हितग्राहियों को बड़ा नुकसान होगा। उन्हें ठीक समय पर राशि नहीं मिलेगी तो हितग्राहियों तक योजना की राशि पहुंचाने में सरकार नाकाम रहेगी।
जनधन खातों के बंद होने के पीछे बड़ा कारण है, इनकी केवाईसी नहीं कराया जाना। बैंकिंग नियमों के अनुसार किसी बैंक खाते का 10 वर्ष में कम से कम एक बार केवाईसी किया जाना चाहिए। केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में बनी थी, और इसके बाद ही खासतौर पर कोरबा जैसे ट्राइबल जिले में जहां आदिवासियों की संख्या अधिक है लोग वनांचल और दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें बैंकिंग सेक्टर से जोड़ा गया था। अभियान चलाकर बड़े पैमाने पर जनधन खाते खोले गए थे, जिसे अब 10 वर्ष का समय हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों ने इनकी केवाईसी नहीं करवाई है। ज्यादातर खाते इसलिए ही बंद हुए हैं।
कुछ लोगों ने एक ही परिवार में दो से तीन जनधन खाते खुलवा लिए थे, वह भी वर्तमान में बंद हो चुके हैं। हालांकि कई बैंक खाते ऐसे भी हैं, जिनमें सरकारी योजनायों की राशि हस्तांतरित की जाती है। जनधन खातों के अलावा भी अन्य खातों में रकम भेजे जा रहे हैं लेकिन जनधन खाता योजना केंद्र सरकार की एक फ्लैगशिप और महत्वाकांक्षी योजना है। इन खातों को मेंटेन करने के लिए कोई मिनिमम बैलेंस का कोई प्रावधान नहीं है। जीरो बैलेंस पर जनधन खाते खोले गए थे और लोगों ने कोविड-19 में तो लाइन लगकर इसे खुलवाया था।
जिले में सरकारी, निजी सभी को मिलाकर कुल 29 बैंक संचालित हैं, जिनकी 134 शाखाएं स्थापित हैं। इन बैंकों के कुल 686 बिजनेस कॉरेस्पोंडेंस भी हैं, जो रिमोट क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को पहुंचते हैं। अब बंद पड़े खातों को चालू करने के लिए न सिर्फ बैंकों को बल्कि बैंकों के बिजनेस कॉरस्पॉडेंस को भी जवाबदेही सौंपी गई है लेकिन ग्रामीणों तक पहुंचना आसान नहीं है।
ज्यादातर लोग दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं, जहां संसाधन बेहद सीमित हैं। हालांकि अब बैंक खाता को लेकर कई ग्रामीण जागरूक भी हैं। सरकारी योजनाओं के राशि खातों में आती है, इसलिए वह बैंकिंग सुविधाओं से जरूर जुड़े हुए है। लेकिन सभी खातों की केवाईसी कर उन्हें फिर से चालू करना आसान काम नहीं होगा, बैंकों को कैंप लगाकर इन खातों के केवाईसी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
इस विषय में लीड बैंक मैनेजर कृष्ण भगत ने कहा कि जनधन खाते 2014 के बाद ही खुले थे, जिन्हें 10 साल का समय हो चुका है। नियमानुसार 10 साल में कम से कम एक बार केवाईसी करवा लेनी चाहिए, लेकिन बड़े पैमाने पर केवाईसी नहीं हुई है, जिसके कारण जनधन खाता बंद हुए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से देश भर में इन खातों को फिर से चालू करने के निर्देश हैं। जिला स्तर पर भी सभी बैंक की शाखों को कैंप लगाकर केवाईसी करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि बंद पड़े जनधन खातों को जल्द से जल्द चालू किया जाए।
सरकार की हितग्राही मूलक अनेक योजनाओं की राशी सीधे जनधन खातों में सरकार द्वारा हस्तांतरित की जाती है। इसमें महतारी वंदन योजना, किसान सम्मन निधि, तेंदूपत्ता संग्रहण का बोनस, वृद्धा पेंशन, धान की बोनस राशि, किसानों के धान का समर्थन मूल्य से लेकर कई ऐसी छोटी बड़ी योजनाएं हैं, जिनकी राशि को सरकार सीधे खातों में हस्तांतरित करती है। यह कहना भी बिल्कुल गलत नहीं होगा कि सरकार के द्वारा हितग्राही मूलक योजनाओ की ज्यादातर राशियों को जनधन खातों में ही हस्तांतरित किया जाता है।
● जिले में कुल बैंक : 29
● जिले में कुल बैंक की शाखाएं वी : 134
● कुल बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट : 686
● कुल जनधन खाता 7 लाख 89 हजार 772
● कुल बंद हो चुके जनधन खाते लगभग : 4 लाख
● छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन की कुल हितग्राही : 70 लाख
Published on:
26 Aug 2025 05:48 pm