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SECL Labour Protest: लेबर कोड पर मजदूरों का फूटा गुस्सा, 26 नवंबर को SECL में व्यापक विरोध प्रदर्शन का ऐलान

SECL Labour Protest: चार लेबर कोड कानूनों को मजदूर विरोधी बताते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 26 नवंबर को SECL की सभी इकाइयों में काला फीता बांधकर जोरदार विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

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26 नवंबर को SECL के सभी इकाइयों में विरोध प्रदर्शन (photo source- Patrika)

26 नवंबर को SECL के सभी इकाइयों में विरोध प्रदर्शन (photo source- Patrika)

SECL Labour Protest: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने चार लेबर कोड कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संयुक्त यूनियनों के मंच ने चारों कानून को मजदूर विरोधी और नियोजक-समर्थक बताते हुए लागू चारों श्रम संहिताओं के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए एसईसीएल के सभी क्षेत्रों व इकाइयों में 26 नवंबर को व्यापक विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस संबंध में एचएमएस, एटक, इंटक और सीटू संयुक्त श्रमिक संगठनों ने आंदोलन का निर्णय किया।

SECL Labour Protest: काला फीता बांधकर किया जाएगा विरोध

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार एसईसीएल एचएमएस महासचिव नाथूलाल पांडेय महासचिव एटक अजय विश्वकर्मा, अध्यक्ष एसईकेएमसी इंटक गोपाल नारायण सिंह, महासचिव सीटू वीएम मनोहर की ओर से आंदोलन को लेकर सूचना सभी क्षेत्र व इकाइयों को भेज दी गई है। केंद्रीय श्रमिक संगठन के संयुक्त मंच की ओर से निर्णय लिया गया है कि 26 नवंबर को प्रत्येक इकाई में श्रमिकों की ओर से काले फीते बांधकर विरोध जताया जाएगा।

श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को वापस लेने की मांग की जाएगी। इसके अंतर्गत प्रत्येक इकाई में संयुक्त बैठक आयोजित जा रही है। सभी क्षेत्रीय मुख्यालयों में संयुक्त प्रदर्शन कर श्रम कानून की प्रति को जलाया जाए। संगठनों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार मजदूर हितों की अनदेखी करेगी तो बड़ा आंदोलन होगा।

SECL Labour Protest: नए कानून में हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान- मिश्रा

एटक के दीपेश मिश्रा ने कहा कि श्रम सुधार के नाम पर 29 श्रम कानूनों को समाहित कर श्रमिकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि नए लेबर कोड से कर्मचारियों को मिल रही कागजी सुरक्षा खत्म हो जाएगी और कंपनियों में बंधुआ मजदूरी जैसे हालात बन सकते हैं। 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को हायर एंड फायर की खुली छूट देने, मजदूरों के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने, हड़ताल पर कड़े प्रतिबंध लगाने और ट्रेड यूनियन पंजीयन को जटिल बनाने पर भी उन्होंने गंभीर आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने और नौकरी से निकाले गए मजदूरों के लिए विशेष फंड का प्रावधान केवल दिखावा है। मिश्रा ने घोषणा की कि नए लेबर कोड के विरोध में देशभर के मजदूर संगठनों द्वारा 26 नवंबर को देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देशभर की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 को चार विवादास्पद श्रम संहिता विधेयकों की अधिसूचना जारी कर दी है।

औद्योगिक माहौल अत्यंत आवश्यक

SECL Labour Protest: इधर कोल इंडिया के चेयरमैन मनोज कुमार झा ने सभी ट्रेड यूनियनों और सहायक कंपनियों के कर्मचारियों को पत्र जारी कर नई श्रम संहिताओं के सुचारू क्रियान्वयन में सहयोग देने की अपील की है। पत्र में उन्होनें कहा है कि घोषित चारों श्रम संहिताएं औद्योगिक संबंधों, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और कामकाजी परिस्थितियों में सुधार के उद्देश्य से बनाई गई हैं, जिनसे श्रमिक कल्याण को मजबूत और औद्योगिक संबंधों को सरल बनाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा है कि श्रम संहिताओं के लागू होने से कर्मचारियों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व कौशल विकास की सुविधाएं मिलेंगी और संगठन व कर्मचारियों दोनों को लाभ होगा। साथ ही यह भी कहा गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में मानसून के कारण खदानें लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई हैं वहीं आगे कंपनी की उत्पादन क्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए शांतिपूर्ण और स्थिर औद्योगिक माहौल अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी श्रमिक संगठनों से अपील की है कि वे सहयोग की भावना के साथ श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन में साथ दें, ताकि कंपनी की उत्पादकता व प्रदर्शन पर सकारात्मक असर पड़े और देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो सके।