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Kota: वन विभाग की अनोखी पहल, गड्ढों को दिया तालाब का रूप, शिवलिंग बना आकर्षण का केंद्र

कर्मचारियों के अनुसार यहां चट्टानों के बीच गहरे गड्ढे थे। इन्हें मिट्टी से पाटने की अपेक्षा तालाब का रूप देना उचित समझा। एक संस्था के सहयोग से गड्ढों को गहरा करवा दिया और पाल बना दी।

कोटा

Hemant Sharma

Aug 19, 2025

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क (फोटो: पत्रिका)

थोड़ी सी सोच और कुछ कर गुजरने की ललक हो तो क्या नहीं किया जा सकता। कमियों को खूबियों में बदला जा सकता है। अनुपयोगी को उपयोगी बनाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की वाइल्ड लाइफ विंग ने। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में वन विभाग प्रशासन के दिशा-निर्देशन में स्टॉफ ने परिसर में हो रहे गड्ढों को तालाब के रूप में विकसित कर दिया। अब इन छोटे-छोटे तालाबों में बारिश के पानी का संग्रहण भी हो रहा है और पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं।

ऐसे किया विकसित

कर्मचारियों के अनुसार यहां चट्टानों के बीच गहरे गड्ढे थे। इन्हें मिट्टी से पाटने की अपेक्षा तालाब का रूप देना उचित समझा। एक संस्था के सहयोग से गड्ढों को गहरा करवा दिया और पाल बना दी। यहां प्राचीन सालकिया तालाब भी है। इससे दोनों तालाबों को जोड़ दिया। व्यवस्था इस तरह से की है कि सालकिया तालाब ओवर फ्लो होता है तो उसका पानी इन तालाबों में आ जाता है। ट्रेंच के माध्यम से सालकिया तालाब से पानी को ट्रेप कर तालाब तक पहुंचाया है।

हो रहे कई फायदे

विभाग में कार्यरत मनोज शर्मा व अन्य कर्मचारी बताते हैं कि इन वाटर बॉडीज के काफी फायदे हो रहे हैं। एक तो पानी का कंजर्वेश्न हो रहा है वहीं दूसरा पक्षियों के संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। सालकिया तालाब, अभेड़ा तालाब होने से काफी संख्या में पक्षी भी यहां आते हैं। पर्यटकों को भी यह काफी रास आते हैं।

शिवलिंग बन रहा आकर्षण

सावन माह बीत गया लेकिन एक तालाब में शिवलिंग के दर्शन अभी भी जारी है। इस देख दर्शकों के कदम थम जाते हैं। बीच में बने टापू पर पक्षियों का यहां बसेरा रहता है।

तालाब सीएसआर फंड से तैयार करवाए हैं। पानी को सालकिया तालाब से जोड़ा गया है। सालकिया तालाब को भी गहरा करवाया है। इनमें बच्चों को बोटिंग करवाने की योजना भी है।

अनुराग भटनागर, उपवन संरक्षक, वन्यजीव शाखा, वनविभाग

तो कर सकते हैं मिसाल पेश

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में जिस तरह कर्मचारियों ने एक अनूठी मिसाल पेश की है उसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भी कर सकता है। एक्सप्रेस वे पर मिट्टी खोदने से बने तालाबों को फ्लाईएश भर कर पाटा जा रही है। इन्हें भी तालाब के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे न केवल ये आकर्षक स्थल बन सकते हैं बल्कि भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने में भी मददगार हो सकते हैं। अन्य विभाग भी सीख लेकर ऐसी नजीर पेश कर सकते हैं।