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अजीब मौसम : लू-तापघात की जगह आ रहे वायरल फीवर के मरीज

पहली बार झुलसाने वाली गर्मी के दौर में एक पखवाड़े से मौसम में बनी हुई है ठंडक, अस्पतालों में आ रहे सर्दी, जुकाम, खांसी व वायरल के मरीज

कोटा

Abhishek Gupta

May 15, 2025

mbs hospital
mbs hospital

kota news: मई महीने में जहां आमतौर पर झुलसाने वाली गर्मी और लू का प्रकोप होता है, वहीं इस बार मौसम की करवट ने चौंका दिया है। बारिश और अंधड़ के कारण तापमान में गिरावट आई है। जिससे लू और तापघात की बजाय सर्दी, खांसी, जुकाम और वायरल फीवर के मरीज बढ़े हैं। डॉक्टरों के अनुसार, पिछले एक पखवाड़े से मौसम में बनी ठंडक और उमस ने वायरल को नया रूप दे दिया है, जिससे यह संक्रमण की तरह फैल रहा है। शहर के प्रमुख अस्पतालों में मेडिसिन ओपीडी का आंकड़ा 250-300 पहुंच है। इनमें से करीब 20 प्रतिशत मरीज सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, अन्य वायरल बीमारियों के हैं।

बदलते मौसम का दुष्प्रभाव
बारिश के बाद सड़कों पर जमी धूल और नमी के कारण एलर्जी, अस्थमा, दमा और चर्म रोगों के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसके अलावा मौसम में आए बदलाव से बुजुर्गों और बच्चों का पाचन तंत्र प्रभावित हो रहा है, जिससे डायरिया और उल्टी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

देर से इलाज, तो रिकवरी भी देर से
शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिनों मौसम में बदलाव के कारण बच्चों में डायरिया, हैपेटाइटिस, न्यूमोनिया, वायरल हो रहा है। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ रहा है। जांच और इलाज में देर होती है तो मरीजों की रिकवरी लंबी खिंच जाती है।

सावधानी ही बचाव
इस बार मौसम अजीब बना हुआ है। हमेशा मई में लू-तापघात के मरीज आते है, लेकिन इस बार वायरल व अन्य संक्रमित बीमारियों के मरीज आ रहे है। मौसम के इस उतार-चढ़ाव में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में वायरल की चपेट में आकर खांसी, जुकाम व बुखार होना आम बात है। ऐसे में हमें खाने पीने की आदतों में सावधानी बरतनी चाहिए और बेसिक हाइजीन के प्रति सचेत रहना चाहिए। साफ-सफाई रखें, भीगने से बचें, ठंडी चीजों के सेवन में सावधानी रखें और लक्षण दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करें, ताकि बीमारी को शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सके।
डॉ. पंकज जैन, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, मेडिकल कॉलेज कोटा