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Intermittent Fasting की ये 5 कॉमन मिस्टेक्स आपके वेट लॉस को रोक सकती हैं

Insulin Resistance Treatment : इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के बावजूद वजन नहीं घट रहा? जानिए 5 कॉमन गलतियां और इंसुलिन रेसिस्टेंस को ठीक करने के आसान उपाय।

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Intermittent Fasting

5 common intermittent fasting mistakes that stop weight loss (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Intermittent Fasting Mistakes : इंटरमिटेंट फास्टिंग (आईएफ) मेटाबोलिक फंक्शन में सुधार और वजन घटाने को बढ़ावा देने का एक प्रभावी तरीका है। फिर भी इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों के मामले में आईएफ हमेशा इच्छा के अनुसार प्रभाव दिखाने की गारंटी नहीं देता है। न्यूट्रिशनिस्ट और डायटीशियन नेहा दुआ का कहना है कि अगर शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस (प्रतिरोध) है, तो ये शरीर को फैट (वसा) जलाने की प्रक्रिया पर ठीक से शिफ्ट नहीं होने देता। इसी वजह से इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का असर काफी कम हो जाता है। यानी जिन लोगों को इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) है, उनके लिए उपवास से उतना फायदा नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए।

ये 5 कॉमन मिस्टेक्स आपको पतला नहीं होने देंगी | 5 common intermittent fasting mistakes that stop weight los

बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट

दिन भर कार्बोहाइड्रेट का सेवन, हालांकि ऊर्जा प्रदान कर सकता है, लगातार इंसुलिन स्पाइक्स का कारण बनता है। यहां तक कि खाने के समय, जब व्यक्ति उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ लेता है, तो वे इंसुलिन के स्तर को हाई रखते हैं और शरीर को वसा-जलने की स्थिति में नहीं जाने देते। इंसुलिन की संवेदनशीलता (Insulin Resistance) बढ़ाने के लिए कार्बोहाइड्रेट के सेवन की दर कम करना चाहिए।

उपवास की छोटी अवधि

छोटे-छोटे उपवास हमेशा इंसुलिन को कम करने के लिए काफी नहीं होते। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर इंसुलिन सेंसिटिविटी को सही तरीके से सुधारना है, तो थोड़ा लंबा फास्ट करना चाहिए, जैसे करीब 18 घंटे का। इतने लंबे फास्ट में शरीर अपनी जमा हुई चर्बी को ऊर्जा की तरह इस्तेमाल करने लगता है। इसका फायदा वजन कम करने और मेटाबॉलिज़्म (पाचन और ऊर्जा सिस्टम) को बेहतर बनाने में मिलता है।

ऐसा आहार जिसमें पौष्टिकता की कमी हो

हालांकि IF का संबंध केवल इस बात से है कि आप कब खाते हैं, लेकिन खाने के दौरान आप क्या खाते हैं, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से चयापचय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और उपवास के प्रभाव बढ़ जाते हैं। डॉ. बर्ग इंसुलिन संवेदनशीलता को अधिकतम करने के लिए उच्च वसा, मध्यम प्रोटीन, कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार की सलाह देते हैं।

तनाव से प्रेरित कोर्टिसोल स्राव और उसके प्रभाव

तनाव के कारण कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिससे Blood Sugar और इंसुलिन बढ़ सकता है। हार्मोन असंतुलन इंसुलिन प्रतिरोध को और बिगाड़ सकता है। डॉ. बर्ग इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए विश्राम तकनीकों, उचित नींद और शारीरिक व्यायाम के साथ तनाव प्रबंधन पर ज़ोर देते हैं।

पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं

फैटी लिवर जैसी बीमारियां लिवर की ब्लड शुगर को संसाधित करने की क्षमता को बाधित कर सकती हैं, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है। इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने और आईएफ की अधिकतम प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी स्वास्थ्य समस्याओं से उबरना जरूरी है।

Intermittent Fasting का पूरा फायदा उठाने के लिए इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) का इलाज जरूरी है। कुछ आसान उपाय मदद कर सकते हैं:

लो-कार्ब, हाई-फैट डाइट लें: यानि कार्ब्स (रोटी, चावल, मिठाई) कम करें और हेल्दी फैट्स (जैसे घी, नारियल तेल, एवोकाडो) बढ़ाएं। इससे शरीर इंसुलिन को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने लगेगा।

फास्टिंग टाइम बढ़ाएं: अगर आप उपवास की अवधि 18 घंटे तक कर लें तो शरीर ज्यादा फैट जलाएगा और मेटाबॉलिज़्म भी सुधरेगा।

स्ट्रेस कम करें: योग, ध्यान या सैर जैसी चीजें तनाव घटाती हैं। इससे कॉर्टिसोल कंट्रोल में रहेगा और इंसुलिन का असर बेहतर होगा।

छिपी हुई बीमारियों का इलाज करें: जैसे फैटी लिवर। अगर लिवर ठीक तरह से काम करेगा तो इंसुलिन सेंसिटिविटी भी बेहतर होगी।

जरूरी पोषक तत्व लेते रहें: सही विटामिन्स और मिनरल्स लेते रहना मेटाबॉलिज़्म को हेल्दी रखता है।

इन तरीकों से इंसुलिन रेसिस्टेंस वाले लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग से ज्यादा फायदा पा सकते हैं और हेल्थ भी बेहतर होगी।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।