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Rafflesia Hasseltii Flower: सड़ी लाश जैसी बदबू, फिर भी इस ‘रहस्यमयी फूल’ का साइंटिस्ट ने 13 साल तक किया इंतजार! जानिए क्या है ये

सुमात्रा के जंगलों में 13 साल की खोज के बाद मिला दुनिया का सबसे दुर्लभ 'Rafflesia Hasseltii' (कॉर्प्स फ्लावर) फूल। इसे देखकर क्यों फूट-फूटकर रो पड़े वैज्ञानिक? जानिए...

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Rafflesia Hasseltii Flower

Rafflesia Hasseltii Flower (Image: Freepik)

Rafflesia Hasseltii Flower: सुमात्रा के खतरनाक जंगलों में 13 साल की खोज के बाद वैज्ञानिक डॉ. क्रिस थोरोगुड को आखिरकार बेहद दुर्लभ रैफलेसिया हसेल्टी (कॉर्प्स फ्लावर) मिला। यह फूल बहुत कम दिखाई देता है और सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही खिलता है। कैमरे पर जब इसकी पंखुड़ियां खुली, तो वह पल इतना भावुक था कि वैज्ञानिक की आंखों में खुशी के आंसू आ गए।

सुमात्रा के उन जंगलों में जहां हर कदम पर बाघ का डर है, एक वैज्ञानिक ने वह हासिल किया जो लगभग नामुमकिन माना जाता था। इंडोनेशिया के घने बारिश के जंगलों में एक ऐसी खोज पूरी हुई है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. क्रिस थोरोगुड ने 13 साल की लंबी मेहनत के बाद 'रैफलेसिया हसेल्टी' (Rafflesia hasseltii) यानी कॉर्प्स फ्लावर नामक अनोखा फूल ढूंढ निकाला है। यह फूल इसलिए भी खास है क्योंकि इसे 'जंगल का भूत' कहा जाता है और इसे इंसानों से ज्यादा बाघ देखते हैं।

यह फूल क्यों है इतना खास?

रैफलेसिया फूल दुनिया के विलुप्त फूलों की प्रजाति में से एक है। जंगल कम हो रहे हैं, जिसके कारण इन फूलों का जीवन भी कम हो रहा है। ये फूल इंडोनेशिया के घने जंगलों में उगता है। यह फूल अपनी अधिकांश जिंदगी जमीन के अंदर बिताता है। यह कब खिलेगा, इस बात को कोई नहीं जानता है। जब यह खिलता है, तो केवल कुछ ही दिनों तक रहता है और फिर खत्म हो जाता है।

क्यों कहां जाता है इसे 'बाघों का फूल'?

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस फूल को इंसानों से ज्यादा बाघ देखते हैं। जिसका मतलब है कि यह ऐसे खतरनाक इलाकों में उगता है जहां जाना बहुत मुश्किल है।

क्या है 'कॉर्प्स फ्लावर' की खासियत?

यह देखने में लाल रंग का और बहुत सुंदर होता है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो दूसरी दुनिया का पौधा हो। लेकिन इसमें से सड़ी हुई लाश जैसी बदबू आती है।

13 साल का इंतजार और वो एक 'जादुई रात'

डॉ. थोरोगुड क्रिस और फील्ड एक्सपर्ट सेप्टियन एंड्रिकी कई सालों से इस मोमेंट का इंतजार कर रहे थे। कभी बारिश, कभी कीचड़, तो कभी जंगल के खतरों का सामना करते हुए, ये इसे बाघों के इलाके में खोजते रहें। फिर एक रात कैमरा ऑन था और अचानक पंखुड़ियां धीरे-धीरे खुलने लगी। थोरोगुड उस पल को देखकर सन्न रह गए और उनकी आंखों से खुशी के आंसू साफ छलकने लगे। वो पल जिसे देखना नामुमकिन सा था, वह हकीकत बनकर उनके सामने था।

वायरल वीडियो और दुनिया भर में चर्चा

थोरोगुड ने इंस्टाग्राम पर उस पल का वीडियो शेयर किया, जिसके बाद दुनिया भर में लोग इस फूल को लेकर उत्सुक हो गए। उनके लिए यह सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं थी, बल्कि उनके 13 साल की मेहनत, खतरों और उम्मीदों का फल था, जो कुछ ही मिनटों में उनके सामने खिल गया।