Bus Crisis on Raksha Bandhan: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में यह पर्व यात्री सुविधाओं के अभाव के कारण लोगों के लिए परेशानी लेकर आया। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बसों की भारी कमी ने आम जनता को खासी मुश्किल में डाल दिया। हर चौराहे, बस अड्डे और प्रमुख सड़कों पर यात्रियों का भारी जमावड़ा देखने को मिला, जबकि क्षेत्रीय प्रबंधक बसों का इंतजाम करने में नाकाम नजर आए।
त्योहार के कारण शहरों से कस्बों और गांवों की ओर लौटने वालों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है। शासन ने पहले ही 8 अगस्त की सुबह 6 बजे से 10 अगस्त की रात 12 बजे तक महिलाओं और उनके एक सहयात्री के लिए निःशुल्क बस यात्रा का ऐलान किया था। इस घोषणा के बाद बसों में भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता था, लेकिन तैयारी न के बराबर रही।
राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और अन्य शहरों में बस अड्डों पर सैकड़ों यात्री खुले आसमान के नीचे खड़े रहे। कई स्थानों पर यात्री मजबूरी में प्राइवेट टैक्सी या ऑटो का सहारा लेते दिखे, जिनमें किराया सामान्य से कई गुना अधिक वसूला गया।
त्योहार से पहले मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग और क्षेत्रीय प्रबंधकों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि रक्षाबंधन पर बसों की कमी न हो और सभी मार्गों पर पर्याप्त बसें चलाई जाएं। इसके बावजूद कई जिलों में स्थिति जस की तस रही।
सूत्रों के अनुसार, विभाग के पास त्योहार के लिए अतिरिक्त बसें लगाने की योजना थी, लेकिन ड्राइवरों और कंडक्टरों की कमी के कारण इन्हें सड़क पर नहीं उतारा जा सका। वहीं, कुछ मार्गों पर बसें तो उपलब्ध थीं लेकिन उनकी संख्या यात्रियों की भीड़ के मुकाबले बेहद कम थी।
महिलाओं और उनके एक सहयात्री के लिए मुफ्त यात्रा योजना का उद्देश्य उन्हें सुरक्षित और सुलभ यात्रा मुहैया कराना था, लेकिन यह योजना ही बसों की कमी की सबसे बड़ी वजह बन गई।
मुफ्त यात्रा का लाभ लेने के लिए महिलाएं अपने बच्चों और रिश्तेदारों के साथ बड़ी संख्या में बस अड्डों पर पहुंचीं। कुछ स्थानों पर तो बसों में महिलाओं और पुरुष यात्रियों के बीच सीट को लेकर विवाद की स्थिति बन गई।
हालात को देखते हुए कई जगहों पर पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए बुलाना पड़ा। फिर भी बस अड्डों पर यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं – जैसे पीने का पानी, बैठने की जगह और शेड – उपलब्ध नहीं कराए गए।
क्षेत्रीय प्रबंधकों से जब मीडिया ने सवाल किया, तो उन्होंने बसों की कमी की जिम्मेदारी उच्च अधिकारियों पर डाल दी। वहीं, कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि "परिस्थितियां अचानक बनीं" और सभी संसाधनों के साथ प्रयास किए जा रहे हैं।
त्योहार के दिन का माहौल उत्सव जैसा होना चाहिए, लेकिन बसों की कमी ने इसे निराशाजनक बना दिया। लखनऊ के चारबाग बस अड्डे पर 60 वर्षीय मीना देवी ने कहा "मैं हर साल राखी पर अपने भाई के घर जाती हूं, लेकिन इस बार बसों की ऐसी कमी देखी कि लगा शायद नहीं जा पाऊंगी।"
परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे त्योहारों पर बसों का फ्लीट मैनेजमेंट पहले से तैयार रहना चाहिए।
रक्षाबंधन जैसे बड़े पर्व के बाद, सरकार और परिवहन विभाग को एक व्यापक योजना तैयार करनी चाहिए जिसमें त्योहारों के दौरान यात्रियों की बढ़ी संख्या का अनुमान और संसाधनों की पूर्व तैयारी शामिल हो। इसके साथ ही, बसों की लाइव ट्रैकिंग और टिकटिंग सिस्टम को भी मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि भीड़ का सही बंटवारा किया जा सके और यात्रियों को सही समय पर बस उपलब्ध हो सके।
Published on:
08 Aug 2025 01:04 pm