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Chowkidar Vacancy: पांच वर्षों बाद भी परिषदीय स्कूलों में चौकीदार भर्ती शुरू न होने से सुरक्षा और व्यवस्थाएं गंभीर संकट में

School Guard: प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में सुरक्षा और स्वच्छता व्यवस्था मजबूत करने के लिए फरवरी 2020 में जारी 90 हजार चौकीदारों और अनुचरों की नियुक्ति का आदेश पांच वर्ष बाद भी अमल में नहीं आ सका है। विद्यालयों में सुरक्षा संकट लगातार बढ़ रहा है और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 09, 2025

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Chowkidar Vacancy 2025 : उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से पांच वर्ष पहले जारी किया गया आदेश अब भी कागजों से बाहर नहीं निकल पाया है। फरवरी 2020 में स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेशभर के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कुल 90,640 चौकीदारों और अनुचरों की नियुक्ति का आदेश जारी किया था। उद्देश्य था कि विद्यालय परिसरों की सुरक्षा, स्वच्छता और संपत्तियों के संरक्षण के लिए न्यूनतम दो से तीन कार्मिकों की तैनाती अनिवार्य रूप से की जाए।

लेकिन आधा दशक गुजर जाने के बाद भी प्रदेश के अधिकांश विद्यालय उसी पुरानी व्यवस्था पर निर्भर हैं जिसमें चौकीदारों और अनुचरों की अनुपस्थिति के कारण विद्यालय प्रशासन लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है। बंद विद्यालयों में सुरक्षा का अभाव, बच्चों के लिए स्वच्छ वातावरण की कमी, परिसर की नियमित देखरेख न हो पाना और भवन-संपत्तियों को बार-बार होने वाले नुकसान ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।

फरवरी 2020 का आदेश, आज भी फाइलों में दफन

तत्कालीन स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है। कई विद्यालयों में सफाईकर्मियों, चौकीदारों अथवा अनुचरों की तैनाती नहीं होने के चलते स्कूल की इमारत, फर्नीचर, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और अन्य शैक्षणिक संसाधनों की सुरक्षा प्रभावित हो रही है। कोविड-19 महामारी के पहले जारी हुए इस आदेश में यह भी उल्लेखित था कि विद्यालयों में स्वच्छता को प्राथमिकता देने तथा परिसर की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए। महामारी और बाद में प्रशासनिक प्रक्रियाओं की जटिलता का हवाला देकर यह निर्णय लगातार लटका रहा, लेकिन अब जब 2025 आ चुका है, तब भी नियुक्ति की स्थिति जस की तस है।

चयन प्रक्रिया के दो विकल्प भी तय थे

आदेश में नियुक्ति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दो स्पष्ट विकल्प दिए गए थे। पहला, सेवा प्रदाता (आउटसोर्सिंग) के माध्यम से चयन, जिसमें तहसील स्तर की 15 सदस्यीय समिति को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया था। दूसरा विकल्प यह था कि विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा प्रस्तुत पाँच योग्य उम्मीदवारों के पैनल में से किसी स्थानीय ग्रामीण को चयनित किया जाए, ठीक उसी तरह जैसे ग्राम्य विकास विभाग रोजगार सेवकों की भर्ती करता है।

सरकार का उद्देश्य था कि स्थानीय स्तर पर ही ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाए जो विद्यालय परिसर से परिचित हों और समुदाय के साथ सीधा जुड़ाव रखते हों। इससे न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ते बल्कि स्कूल समुदाय की सहभागिता भी मजबूत होती। लेकिन इन दोनों प्रक्रियाओं पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी।

90 हजार से ज्यादा पद खाली, विद्यालयों की सुरक्षा अधर में

प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या लाखों में है। इनमें से अधिकतर विद्यालय एकल या दो कमरों वाले, ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं जहाँ भवनों की सुरक्षा और परिसर की निगरानी अत्यंत आवश्यक होती है। वर्तमान में कुछ विद्यालयों में श्रेणी ‘घ’ के कर्मियों या मृतक आश्रित कोटे के कर्मचारियों द्वारा इन कामों को किसी तरह निभाया जा रहा है, लेकिन ऐसे विद्यालयों की संख्या बहुत कम है। प्रदेशभर में 90 हजार से ज्यादा विद्यालय बिना चौकीदारों और अनुचरों के संचालित हो रहे हैं, जिससे न सिर्फ भवन और उपकरण असुरक्षित हैं बल्कि विद्यालय के अंदर स्वच्छता व्यवस्था भी प्रभावित रहती है।

कई जिलों से ऐसी शिकायतें सामने आती रही हैं कि रात के समय विद्यालयों में घुसपैठ, सामान चोरी, खिड़कियों और दरवाजों की तोड़फोड़, शौचालयों की खराब स्थिति और परिसर की अव्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।

अर्हता और मानदेय तय, फिर भी प्रक्रिया नहीं आगे बढ़ी

आदेश में दोनों पदों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पांचवीं पास रखी गई थी। साथ ही केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों के चयन की बात कही गई थी ताकि वे विद्यालय की सुरक्षा एवं परिसर की देखरेख सुचारू रूप से कर सकें। मानदेय भी निर्धारित कर दिया गया था। दोनों पदों के लिए 4,000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय निश्चित किया गया था, जिसे बाद में बढ़ाने की संभावना भी खुली रखी गई थी। इसके बावजूद न तो नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ और न ही चयन समितियों ने प्रक्रिया आगे बढ़ाई।

कई जिलों में बीएसए कार्यालयों का तर्क है कि आउटसोर्सिंग एजेंसी के चयन से जुड़ी नियमावली स्पष्ट नहीं थी, जबकि कुछ जिलों में पंचायत स्तर पर चयन में पारदर्शिता को लेकर आशंकाए जताई गईं। सरकार द्वारा इन मुद्दों को सुलझाने का आश्वासन दिया गया, लेकिन पाँच वर्षों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

आज प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों की बदहाल सुरक्षा व्यवस्था बड़े सवाल खड़े कर रही है। लाखों बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं। अनेक स्थानों पर स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान सामग्री और किचन-सामग्री जैसी महत्वपूर्ण संपत्तियां मौजूद हैं जिनकी सुरक्षा चौकीदार न होने की वजह से खतरे में रहती है। विद्यालयों के प्रधानाध्यापक भी कई बार लिखित रूप से शिकायत कर चुके हैं कि बिना चौकीदार व अनुचर के विद्यालय की नियमित साफ-सफाई और देखभाल कर पाना मुश्किल है। शिक्षकों को कई बार स्वयं इन दायित्वों को निभाना पड़ता है, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है।