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यूपी के दो हाईवे अब हो जाएंगे सिक्स-लेन, 2.5 घंटे में तय होगी लखनऊ से वाराणसी की दूरी, 1 घंटे में सीतापुर से लखनऊ

Lucknow Varanasi 6-lane highway expansion : राजधानी को जोड़ने वाले दो हाईवे जल्द ही सिक्स लेन में तब्दील हो जाएंगे। 9500 करोड़ से NH-731 पर वाराणसी 2.5 घंटे में; NH-24 पर सीतापुर 1 घंटे में होगा सफर।

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यूपी के दो हाईवे अब होंगे सिक्स लेन, PC- Gemini

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को पूर्वांचल और तराई क्षेत्रों से बेहतर तरीके से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) दो प्रमुख हाईवे के विस्तार पर तेजी से काम कर रहा है। इनमें लखनऊ-वाराणसी हाईवे (एनएच-731) और लखनऊ-सीतापुर रोड (एनएच-24) शामिल हैं। दोनों परियोजनाओं को चार लेन से बढ़ाकर छह लेन का बनाने की योजना है, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी। कुल अनुमानित लागत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें लखनऊ-वाराणसी प्रोजेक्ट पर 9,500 करोड़ का प्रमुख खर्च शामिल है। 2026 से दोनों कार्य शुरू होंगे, जो ट्रैफिक जाम से राहत देंगे और आर्थिक विकास को रफ्तार प्रदान करेंगे।

ढाई घंटे में काशी दर्शन, पूर्वांचल को मिलेगी नई रफ्तार

उत्तर प्रदेश का सबसे व्यस्त मार्गों में शुमार लखनऊ-वाराणसी हाईवे (एनएच-731) वर्तमान में चार लेन का है, लेकिन अब इसे छह लेन में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल लंबाई 295 किलोमीटर है, जो लखनऊ से सुल्तानपुर, अमेठी और जौनपुर जिलों को पार करते हुए वाराणसी तक फैला है। परियोजना पूरी होने पर लखनऊ से काशी की 300 किलोमीटर दूरी, जो अभी 5 घंटे लेती है, घटकर मात्र ढाई से तीन घंटे रह जाएगी। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, पूर्वांचल के जिलों में औद्योगिक गतिविधियां तेज होंगी और व्यापारिक अवसरों में इजाफा होगा।

NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सौरभ चौरसिया के अनुसार, इस हाईवे पर प्रतिदिन लाखों वाहन गुजरते हैं, जिससे जाम और दुर्घटनाएं आम हैं। विस्तार से वाहनों की रफ्तार बढ़ेगी और सुरक्षा में सुधार होगा। लागत के लिहाज से यह 9,500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है, जिसमें 3,500 करोड़ जमीन अधिग्रहण पर और 6,000 करोड़ निर्माण (सड़क, पुल-पुलिया, इंटरचेंज) पर खर्च होंगे। अक्टूबर 2025 में विस्तृत सर्वेक्षण शुरू हो चुका है, जिसमें वाहन दबाव, यात्री सुविधाएं और पर्यावरण प्रभाव का आकलन शामिल है। डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार है और नवंबर 2025 तक जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया तेज हो गई है। केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त मंजूरी मिल चुकी है। निर्माण कार्य 2026 से धरातल पर उतरेगा, जिसका लक्ष्य 2028 तक पूरा करना है। यह पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का पूरक बनेगा, जो लखनऊ को आगरा से जोड़ चुका है।

बिना नई जमीन के छह लेन, तराई क्षेत्र को मिलेगी मजबूत कनेक्टिविटी

तराई क्षेत्र को लखनऊ से जोड़ने वाला लखनऊ-सीतापुर रोड (एनएच-24) भी चार लेन से छह लेन में बदला जाएगा। इसकी लंबाई 90 किलोमीटर है, जो लखनऊ से सीतापुर जिले तक है। विस्तार से यात्रा समय डेढ़ घंटे से घटकर मात्र एक घंटा रह जाएगा। इस मार्ग पर रोजाना 40,000 से अधिक वाहन गुजरते हैं, जो लखनऊ को सीतापुर, हरदोई और लखीमपुर खीरी जैसे जिलों से जोड़ते हैं। इससे ट्रैफिक जाम खत्म होगा, कृषि उत्पादों का परिवहन आसान बनेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

इस प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि कोई नई जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं पड़ेगी। मौजूदा सड़क की चौड़ाई बढ़ाकर ही छह लेन बनाए जाएंगे, जिससे लागत और समय दोनों बचेंगे। अनुमानित खर्च 500-700 करोड़ रुपये के बीच है, जो डीपीआर के बाद स्पष्ट होगा। अक्टूबर 2025 में एनएचएआई ने प्रस्ताव को मंजूरी दी और केंद्रीय सड़क मंत्रालय को भेजा। सर्वेक्षण कार्य लगभग पूरा हो चुका है, जबकि अतिक्रमण हटाने का अभियान जोरों पर है। लखनऊ-वाराणसी प्रोजेक्ट के बाद मध्य 2026 में निर्माण शुरू होगा। इससे सीतापुर जैसे सीमावर्ती जिलों को दिल्ली-लखनऊ हाईवे से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

सौरभ चौरसिया ने बताया, 'सीतापुर रोड पर सर्विस लेन में अवैध निर्माण हैं, जिन्हें हटाने के लिए अभियान चल रहा है। चौड़ीकरण के दौरान एक्सेस-फ्री हाईवे बनाने का प्रयास होगा।' ये परियोजनाएं यूपी को इंफ्रास्ट्रक्चर हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।