
मंत्री संजय निषाद ने गोमती में 2 लाख मेजर कार्प मत्स्य बीज संचय किया (फोटो सोर्स : Information Department )
PMMSY 2025: उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय निषाद ने आज न्यू लक्ष्मण पार्क, गोमती नदी फ्रंट पर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PM Matsya Sampada Yojana, PMMSY) के अंतर्गत आयोजित “रिवर रैंचिंग,जन-जागरूकता कार्यक्रम” का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में गोमती हैचरी, लखनऊ द्वारा 2 लाख भारतीय मेजर कार्प मत्स्य बीज (रोहू, कतला तथा नैन), आकार लगभग 80–100 एमएम, का संचय किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार की मत्स्य संपदा योजना की भावना को आगे बढ़ाते हुए, मंत्री निषाद ने 6 लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किए, जो मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन हेतु एयरेशन सिस्टम और मछुआ दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाओं के लाभार्थी हैं।
डॉ. संजय निषाद ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का मूल उद्देश्य नदियों में मत्स्य संसाधनों का पुनरुद्धार करना है, ताकि पारंपरिक मछली पकड़ने की पद्धतियों को संरक्षित किया जा सके और मछुआ समुदाय की आजीविका मजबूत हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि रिवर रैंचिंग (नदी में मछली के बीज का पुनः संचालन) नदी की पारिस्थितिकीय प्रणाली के संरक्षण में एक “बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया” है।
उनका यह भी कहना था कि नदियों में मत्स्य जीवन को बढ़ाना सिर्फ मछली उत्पादन की दृष्टि से नहीं, बल्कि जैव-विविधता और जल-पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस तरह के जन-जागरूकता और संचय कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित किया जाए, ताकि मत्स्य विकास की पहल को निरंतर गति मिल सके।
समारोह में मुख्य सचिव मत्स्य विकास विभाग मुकेश मेश्राम भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जो मछुआरों को एयरेशन सिस्टम और मछुआ दुर्घटना बीमा जैसी योजनाओं के लाभ दिए जा रहे हैं, उनका वितरण अब व्यवस्थित तरीके से हो रहा है। मंत्री निषाद ने 6 ऐसे मछुआरों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए, जिनके नाम सूचीबद्ध हैं और जिन्होंने योजना के लाभों का प्रयोग कर अपनी मछली इकाइयों को आधुनिक बनाया है। ये प्रमाण-पत्र न सिर्फ मान्यता का प्रतीक हैं, बल्कि मछुआरों के लिए आत्म-गौरव और आगे की प्रगति का एक मजबूत आधार बनने का काम करेंगे।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है, जिसे “नीली क्रांति” की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जाता है। इस योजना की शुरुआत 2020 में की गई थी और यह इन-लैंड फिशरी, समुद्री मत्स्य पालन और जलीय अवसंरचना को मजबूत करने पर केंद्रित है। योजना में कुल 20,050 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इसके मकसद में मछली उत्पादन बढ़ाना, मछुआ समुदाय की आजीविका को सशक्त बनाना, जलीय जैव विविधता को संरक्षित करना और मछली मूल्य श्रृंखला (फिश वैल्यू चेन) को मजबूत करना शामिल है।पीएमएमएसवाई के सफल क्रियान्वयन से देश में रोजगार के लाखों अवसर बने हैं, और यह योजना मछली उत्पादन और निर्यात दोनों को बढ़ावा दे रही है।
मंत्री निषाद ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने प्रशासन और मत्स्य विभाग को निर्देश दिए कि इस तरह की रिवर रैंचिंग गतिविधियों को बढ़ाया जाए और मैदानी व नदी-किनारे बसे मछुआरा समुदाय तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए। इस अवसर पर मत्स्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री मेश्राम ने कहा कि प्रदेश में रिवर रैंचिंग कार्यक्रमों को निरंतर चलाने की योजना है। उन्होंने भरोसा जताया कि ऐसे अभ्यासों से नदियों की पारिस्थितिकी बेहतर होगी और जलीय जैव विविधता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।
इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू जन-जागरूकता है। मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम केवल बीज संचय तक सीमित नहीं है; यह मछुआरों और आम जनता के बीच मत्स्य संरक्षण, टिकाऊ मछली पकड़ने और मछली पालन आधुनिक तकनीकों के बारे में समझ बढ़ाने का माध्यम है।
उन्होंने यह भी कहा कि मछुआ समुदाय को योजना के लाभों के प्रति संवेदनशील करना अनिवार्य है, चाहे वह एयरेशन सिस्टम हो, मछुआ दुर्घटना बीमा हो या अन्य सहायता, ताकि मछुआ विकास को सिर्फ उत्पादन का मुद्दा न बनाकर समाज और अर्थव्यवस्था में एक समावेशी शक्ति के रूप में विकसित किया जा सके।
हालाँकि मछली उत्पादन को बढ़ाने और मछुआ समुदाय को मजबूत करने के लिए यह पहल प्रशंसनीय है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने हैं:
समाधानों के रूप में मंत्री ने सुझाव दिया कि स्थानीय मछुआ-समुदायों, स्थानीय निकायों, और मत्स्य विभाग के बीच एक मजबूत साझेदारी बनाई जाए। साथ ही, बीज संचय के बाद उनका पुनर्संतुलन और प्रजनन कार्यक्रमों को नियमित रुप से चलाया जाए।
अगर यह पहल सफल रही, तो इसके कई दीर्घकालीन फायदे होंगे:
Updated on:
17 Nov 2025 08:24 pm
Published on:
17 Nov 2025 08:22 pm
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