UP Schools Education Policy: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के मॉनसून सत्र में दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक मजबूत और आधुनिक हुई है। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों का विलय किया गया है, वे स्कूल ऐसे थे जिनमें 50 से कम छात्र थे और जो एक किलोमीटर के दायरे में स्थित थे। इन्हें बेहतर सुविधाओं वाले "इंटीग्रेटेड कैंपस" में बदला जा रहा है।
विधानसभा में ‘विजन–2047’ को लेकर हुई 24 घंटे की अनवरत चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आरोप लगाया कि प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के बजाय सरकार ने स्कूलों की संख्या कम कर दी है। उन्होंने कहा कि “29 हजार विद्यालयों का विलय कर दिया गया और 10 हजार विद्यालय बंद कर दिए गए।” पांडेय ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। पांडेय ने आगे कहा कि जब पिछली सरकार पीडीए पाठशाला चलाती थी तो वर्तमान सत्ताधारी दल के लोग नाराज हो जाते थे। उन्होंने सवाल किया कि यदि छोटे विद्यालयों का विलय कर दिया गया और उन्हें बंद कर दिया गया, तो ऐसे में गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे कहां पढ़ेंगे?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश में कोई स्कूल बंद नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और आधुनिक बनाया जा रहा है। योगी ने कहा,“प्रदेश में 43 लाख नए छात्र जुड़े हैं। यदि शिक्षकों की कमी है तो अधियाचन भेजें, आयोग पूरी पारदर्शिता से भर्ती करेगा। स्कूलों को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। बल्कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र थे और जो एक किलोमीटर की दूरी में स्थित थे, उन्हें बेहतर सुविधाओं के लिए विलय कर इंटीग्रेटेड कैंपस में बदला जा रहा है। इस विलय का उद्देश्य छात्र-शिक्षक अनुपात को 22:1 बनाए रखना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश के 1,56,000 बेसिक और संबद्ध विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब थी। सपा सरकार के दौरान शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान सरकार ने न केवल विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं बल्कि डिजिटल और आधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया है।
मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया कि सरकार छोटे और कमजोर स्कूलों को पूरी तरह बंद नहीं कर रही, बल्कि उन्हें बड़े और सुसज्जित परिसरों में विलय कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि सरकार की इस नीति से गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा का विस्तार नहीं बल्कि कटौती करना है। पांडेय ने कहा कि जब छोटे गांवों के स्कूलों को बंद किया जाता है या दूर के स्कूलों में विलय कर दिया जाता है, तो वहां पढ़ने वाले बच्चे लंबी दूरी तय करने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने इसे गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की रणनीति बताया।
विधानसभा में यह मुद्दा आने वाले दिनों में भी सियासी हलचल पैदा कर सकता है क्योंकि यह सीधे गरीब और ग्रामीण बच्चों की शिक्षा से जुड़ा है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है, जबकि सरकार इसे शिक्षा सुधार की ऐतिहासिक पहल बताने पर जोर दे रही है।
Published on:
15 Aug 2025 08:57 am