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मेरी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया… वीडियो को पूरा देखें बात समझ में आ जाएगी : कथावाचक अनिरुद्धाचार्य

कथावाचक ने कहा कि उन्होंने वही बातें कहीं जो भारतीय शास्त्र और बड़े-बुजुर्ग सिखाते हैं। मैंने कहा कि अपनी पत्नी या पति के प्रति वफादार रहें। पराई स्त्री या पुरुष की ओर न देखें। माता-पिता बच्चों को चोरी और बुराइयों से बचने की सीख देते हैं।

मथुरा : प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने अपने वायरल वीडियो पर स्पष्टता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जो वीडियो वायरल हो है। उसे आधा-अधूरा दिखाकर विवाद खड़ा कर दिया है। माना कि उनकी बात का मकसद युवाओं को चरित्रवान बनने और पति-पत्नी के प्रति निष्ठा रखने की सलाह देना था, लेकिन उनकी पूरी बात को संदर्भ के साथ समझने की जरूरत है, न कि उसे तोड़-मरोड़कर पेश करने की।

अनिरुद्धाचार्य ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘मेरे वीडियो को आधा-अधूरा दिखाया गया, जिससे विवाद पैदा हुआ। पूरी वीडियो देखें, तो मेरी बात स्पष्ट होगी। मैंने पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए कहा कि चरित्रवान बनें। गांव की भाषा में जो भी मैंने कहा उसका मतलब चरित्रहीनता से है, जो मैंने दोनों के लिए कहा।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बात का उद्देश्य समाज को नैतिकता की राह दिखाना था, न कि किसी को अपमानित करना।

कथावाचक ने कहा कि उन्होंने वही बातें कहीं जो भारतीय शास्त्र और बड़े-बुजुर्ग सिखाते हैं। मैंने कहा कि अपनी पत्नी या पति के प्रति वफादार रहें। पराई स्त्री या पुरुष की ओर न देखें। माता-पिता बच्चों को चोरी और बुराइयों से बचने की सीख देते हैं। मैंने समाज में बढ़ती अश्लीलता, जैसे अश्लील वीडियो, तस्वीरें और बॉलीवुड के गाने, को भी निशाना बनाया। ऐसी चीजें समाज को नुकसान पहुंचा रही हैं और इन पर रोक लगनी चाहिए।

अनिरुद्धाचार्य ने मीडिया पर उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और कहा, ‘मीडिया की जिम्मेदारी है कि पूरी बात दिखाए। आधा दिखाने से विवाद होता है। हमने तो बस चरित्रवान रहने की सलाह दी, जो पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए थी, लेकिन मीडिया ने सिर्फ एक हिस्से को उछाला।’

कथावाचक ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कुछ टिप्पणियां पुराने जमाने के संदर्भ में थीं। उन्होंने कहा, ‘पहले 14-15 साल की उम्र में शादी हो जाती थी। मैंने सिर्फ उस समय की बात की, यह नहीं कहा कि अब ऐसा करें। सरकार ने शादी की उम्र 18 और 21 साल तय की है और हम इसका सम्मान करते हैं।’

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि भारत की पहचान उसकी संस्कृति और संस्कारों से है। हमारा देश अमेरिका या लंदन नहीं है। हमारी संस्कृति हमें चरित्रवान बनने की सीख देती है। मैं चाहता हूं कि यह देश राम के चरित्र की तरह चरित्रवान बने।