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साढ़े तीन दिन के लिए मेहमान बनकर दाऊजी मंदिर में बिराजे द्वारिकाधीश

मुरैना गांव में लीला मेला शुरू, भजनों पर नृत्य करते श्रद्धालुओं ने निकाली शोभा यात्रा, प्रतीकात्मक श्रीकृष्ण लीलाएं हुई

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मुरैना. श्रीदाऊजी मंदिर मुरैना गांव में दीपावली की पड़वा से हर साल लीला मेला लगता है। इस बार 22 अक्टूबर से लीला मेला शुरू हो चुका है। पहले दिन बुधवार को शोभा यात्रा निकाली गई। बैंडबाजों के साथ भजन पर नृत्य करते श्रद्धालु चल रहे थे। रथ में भगवान श्रीकृष्ण व बलदाऊ के वेश में दो बालकों को बैठाया गया। शोभायात्रा मुरैना गांव में महंत के घर से मंदिर तक निकाली गई। जगह जगह पूजा अर्चना व पुष्पा वर्षा की गई। इससे पूर्व भगवान का बांसुरी बजाकर आव्हान किया गया। भगवान साढ़े तीन दिन के मेहमान बनकर दाऊजी मंदिर में विराज चुके हैं।


मंदिर के पुजारी कमलाकांत स्वामी का कहना हैं कि मंदिर में 700 वर्ष से अधिक पुरानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमां हैं। उस समय भगवान मुरैना गांव में गाय चराने आते थे। स्वामी परिवार के मुखिया गोपराम स्वामी जिन्हें दाऊजी के नाम से पुकारते थे, भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। कालांतर में भगवान श्रीकृष्ण जब मुरैनागांव से विदा हो रहे थे तब गोपराम स्वामी ने उनको रुकने के लिए विनय की तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि मैं हर साल दीपावली की पड़वा से साढ़े तीन दिन के मुरैना गांव आऊंगा और तालाब में नाग के रूप में दर्शन दूंगा। उन्होंने कहा था कि मुरैना गांव में प्रतिमां मेरी जरूर रहेगी लेकिन मंदिर आपके नाम से ही जाना जाएगा। इसलिए आज भी दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है परंतु उसमें प्रतिमां भगवान श्रीकृष्ण की विराजमान है। दीपावली की पड़वा से भगवान साढ़े तीन दिन के लिए मुरैना गांव दाऊजी मंदिर आते हैं। उसी उपलक्ष्य में हर साल पड़वा से लेकर चतुर्थी के दोपहर तक भगवान की बाल लीलाएं मुरैना गांव में होती हैं।

बालक के द्वारा हुई लीलाओं की शुरूआत

भगवान के आशीर्वाद से कार्तिक मास की पूर्णिमा से अमावस के बीच स्वामी परिवार में बालक जन्म लेता है, उस बालक के द्वारा भगवान की बाल लीलाओं की प्रतीकात्मक रूप से शुरूआत कराई जाती है। इस बार सीताराम स्वामी के यहां 20 अक्टूबर को बालक ने जन्म लिया है। उसी बालक के द्वारा भगवान की लीलाओं को प्रतीकात्मक रूप में शुरू कराया गया। बालक को टोकरी में रखकर दाऊजी मंदिर ले जाया गया। वहां प्रतीकात्मक रूप से लीला की शुरूआत की गई।

नाग दर्शन के लिए तालाब पर उमड़ी भीड़

ऐसी मान्यता है कि मुरैना गांव के प्राचीन तालाब में जिस दिन लीला शुरू होती है, उस दिन भगवान नाग के रूप में दर्शन देते हैं। इसलिए तालाब किनारे महिला, बच्चे व पुरुषों की भारी भीड़ शाम को तालाब किनारे उमड़ती रही। पिछली साल नागदेवता के दर्शन हुए थे इसलिए लोगों की भीड़ उसी उम्मीद के साथ तालाब किनारे उमड़ती रही।

आज होगा कन्हैया मुकाबला

लीला मेला में गुरुवार की रात को कन्हैया (लोकगीत) का मुकाबला होगा। इसमें ज्यादातर गुर्जर समाज की मंडली शामिल होती हैं। मंदिर परिसर में साफ सफाई करके टेंट पंडाल लगाकर पूरी तैयारी कर ली है। इस आयोजन में मेवदा, हांसई, दौनारी सहित करीब दो दर्जन गांवों के लोग शामिल होंगे।