मुरैना. वी ई आर सर्वे (विलेज एजूकेशन सर्वे) के लिए शासन से जिला शिक्षा केन्द्र को 1 लाख 96 हजार 668 बच्चों का लक्ष्य दिया था। मुरैना जिले में ये वो बच्चे हैं जो स्कूल में अपना दाखिला नहीं ले सके या फिर शाला छोड़ चुके हैं। इनको सर्वे करके स्कूल जाने योग्य हों, उनको स्कूल में दाखिला दिलाना था और अन्य की क्या स्थिति है, उसकी पूर्ति करना थी। अभी तक 1 लाख 8 हजार 253 बच्चों को सवेॢक्षत किया जा चुका है, अब 88415 बच्चे अभी और पेडिंग हैं, उनकी भी सर्वे अभी की जा रही है।
सर्वे में सबसे बड़ी अड़चन गांव में नेटवर्क की आ रही है। जिले के करीब 30 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां मोबाइल में नेटवर्क नहीं आते। नियम तो यह है कि शिक्षक प्रत्येक के घर पहुंचकर मौके पर ही जानकारी लेकर मोबाइल के माध्यम से एप पर जानकारी भरकर लक्ष्य को पूरा करना है। लेकिन नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते शिक्षकों को डबल मार झेलनी पड़ रही है। जिन गांवों में नेटवर्क की परेशानी हैं, वहां शिक्षकों पहले ऑफ लाइन यानि कि रजिस्टर में पूरी जानकारी नोट करनी होती है फिर वह बाजार या जहां मोबाइल का नेटवर्क मिले, वहां पर एप पर लोढ करनी होती है। सिकरवारी में चंबल नदी के किनारे और पहाडगढ़़ के इंटीरियर के गांवों के स्कूलों में नेटवर्क की ज्यादा परेशानी हैं।
एकल शिक्षक वाली शालाओं में ज्यादा परेशानी
जिले के ऐसे स्कूल जहां स्टाफ में सिर्फ एक ही शिक्षक हैं और वहां नेटवर्क नहीं मिलता तब वहां के शिक्षक को बड़ी परेशानी होती है। क्योंकि वह स्कूल छोड़ नहीं सकता और वहां फीडिंग नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते नहीं हो पाती। ऐसी ही एक शिक्षकीय शाला लालाराम का पुरा की हैं, यहां सिर्फ दिव्यांग शिक्षक दिवाकर शर्मा पदस्थ हैं। वहां नेटवर्क न मिलने पर शहर में आकर जानकारी लोढ़ करनी पड़ी। ऐसे अन्य कई शिक्षक हैं, जिनको स्कूल समय के बाद गांव से शहर आकर जानकारी फीड करनी पड़ रही है।
जौरा 26797 18862 7935 70.4
मुरैना 74644 20618 54026 27.6
सबलगढ़ 17381 14429 2952 83.0
पोरसा 19383 12801 6582 66.0
अंबाह 28425 17410 11015 61.2
कैलारस 15367 10735 4632 69.9
पहाडगढ़़ 14671 13398 1273 91.3
गांव में भले ही नेटवर्क की परेशानी आ रही है फिर भी शहर की अपेक्षा गांव के स्कूलों की स्थिति बेहतर है। शहर में अभी तक 28 प्रतिशत ही प्रगति हो सकी है जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की 68.8 प्रतिशत पेडेंसी समाप्त हो चुकी है। सबसे ज्यादा स्थिति खराब है मुरैना शहर व ग्रामीण की हैं, यहां शहर में15.4 प्र्रतिशत और ग्रामीण क्षे9 में 41.2 प्रतिशत ही सर्वे पूरा हो सका है। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों का कहना हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में एरिया फिक्स रहता है जबकि शहर में एरिया फैला हुआ है, इसलिए यहां विलंब हुआ है।
मेरे स्कूल पर नेटवर्क की प्रॉब्लम रहती है। इसके अलावा संस्था में अकेला शिक्षक हूं, मुझे स्कूल भी देखना हैं, गांव में भ्रमण करके ऑफ लाइन सर्वे भी करनी हैं, उसके बाद उस जानकारी को शहर के नेटवर्क एरिया में आकर मोबाइल एप में भरना भी है। इसके चलते स्कूल की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
सिकरवारी में चंबल किनारे एवं पहाडगढ़़ के इंटीरियर एरिया में करीब 20 से 30 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जिनमें मोबाइल के नेटवर्क नहीं आते। इसके चलते शिक्षक को गांव में पहले रजिस्टर मेंटेन करना पड़ रहा है फिर नेटवर्क एरिया में आकर उस जानकारी को मोबाइल में फीड करना पड़ रहा है। इसके चलते निश्चित तौर पर स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
शासन से जो सर्वे का जो लक्ष्य मिला था, उसको 30 सितंबर तक पूरा करना था, अभी 55 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य पूरा किया जा चुका है। हमोर शिक्षक सर्वे में लगे हुए हैं। यह सर्वे 30 सितंबर के बाद भी चलेगी, जो शासन से लक्ष्य मिला है, उसको पूरा किया जाएगा। रही बात नेटवर्क प्रॉब्लम की तो विकल्प के तौर पर शिक्षक वहां रजिस्टर में एंट्री कर लें और फिर नेटवर्क एरिया में आकर मोबाइल में फीड कर लें।
Published on:
02 Oct 2025 10:45 am
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