कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर रोक (Photo: FB)
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से हुई बच्चों की मौतों के बाद अब महाराष्ट्र सरकार हरकत में आ गई है। राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Syrup) की बैच संख्या SR-13 पर रोक लगा दी है। साथ ही एडवाइजरी जारी कर कहा है कि इस सिरप में जहरीले तत्व पाए गए हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल तुरंत रोक देना चाहिए।
एफडीए ने अपने प्रेस नोट में बताया कि यह कदम मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की दुखद मौतों की रिपोर्ट के बाद उठाया गया है। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे इस सिरप का इस्तेमाल तुरंत बंद करें। इसके साथ ही सभी लाइसेंसधारियों को निर्देश दिया गया है कि अगर उनके पास कोल्ड्रिफ सिरप का SR-13 बैच मौजूद है तो उसकी बिक्री, वितरण और उपयोग तुरंत रोक दें और इसकी जानकारी स्थानीय ड्रग कंट्रोलर को दें।
नागरिक टोल-फ्री नंबर 1800222365 पर इस दवा की जानकारी सीधे एफडीए को दे सकते हैं। महाराष्ट्र एफडीए के अधिकारी तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी से भी संपर्क में हैं, जहां यह सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा स्थित है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि खुदरा और थोक विक्रेताओं के साथ-साथ अस्पतालों में भी इस दवा के किसी भी स्टॉक को तुरंत फ्रीज किया जाए।
इस बीच, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इसी सिरप के चलते 10 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। सरकारी डॉक्टर प्रवीन सोनी को निलंबित किया गया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने निजी क्लीनिक में शिशुओं को बिना उचित जांच के यह दवा लिख दी थी। दवा के सेवन के बाद बच्चों को तेज बुखार, पेशाब में कठिनाई और फिर किडनी फेल होने जैसी दिक्कतें हुईं, जिससे उनकी जान चली गई। विभागीय जांच में पाया गया कि अगर समय पर सही इलाज मिला होता, तो बच्चों की जान बच सकती थी।
बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की। बैठक में दवा की गुणवत्ता मानकों और बच्चों में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर जोर दिया गया।
प्रारंभिक जांच में अधिकतर सिरप के नमूने मानक पर खरे उतरे, लेकिन कोल्ड्रिफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा अनुमत सीमा से अधिक पाई गई। इसके बाद तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित विनिर्माण इकाई पर नियामक कार्रवाई की गई और उसका लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है। साथ ही मामले में आपराधिक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
राजस्थान सरकार ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में वहां दर्ज चार मौतें सीधे तौर पर दवा की गुणवत्ता से जुड़ी नहीं पाई गईं, फिर भी सतर्कता बरती जा रही है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि नागपुर के अस्पतालों में भर्ती बच्चों को सर्वोत्तम इलाज मुहैया कराया जा रहा है। मामले की जांच चल रही है।
Published on:
06 Oct 2025 10:54 am
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