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Delhi Blast: दोषियों को 6 महीने में फांसी पर लटकाओ पर मुंबई धमाके जैसा मत करो… सपा नेता की बड़ी मांग

Abu Azmi on Delhi Blast: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने दिल्ली धमाके पर कहा कि जो भी इस घटना के पीछे दोषी हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें फांसी की सजा दी जानी चाहिए।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 11, 2025

दिल्ली कार विस्फोट को सरकार ने माना आतंकी हमला

दिल्ली कार विस्फोट को सरकार ने माना आतंकी हमला (Photo: IANS)

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके पर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता अबू आजमी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस दर्दनाक घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को हर हाल में सख्त सजा मिलनी चाहिए। सपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख आजमी ने कहा, दोषियों को छह महीने के भीतर फांसी दी जानी चाहिए, लेकिन जांच मुंबई लोकल ट्रेन धमाके की तरह नहीं होनी चाहिए। बेकसूर को नहीं फंसाया जाना चाहिए।

मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सपा विधायक अबू आजमी ने कहा, दिल्ली में देश के ऐतिहासिक और सबसे सुरक्षित इलाकों में से एक में धमाका होना बेहद गंभीर बात है। हम मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। लेकिन इस घटना की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए, ताकि कोई निर्दोष न फंसाया जाए।

सपा नेता ने मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट का जिक्र करते हुए कहा कि “उस घटना में भी कुछ लोगों को पकड़ लिया गया था, जो वर्षों तक्क जेल में बंद रहे और हल ही में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। असली दोषी आज भी बाहर हैं। ऐसा दिल्ली के मामले में नहीं होना चाहिए। जांच एजेंसियों को इस बार सच्चाई सामने लानी होगी।”

आजमी ने कहा कि अगर देश की राजधानी दिल्ली, जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पूरी केंद्र सरकार मौजूद रहती है, वहां विस्फोट हो सकता है, तो यह एक बड़ी सुरक्षा चूक है। यह 100 प्रतिशत सरकारी विफलता है। उन्होंने कहा, ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए कि आप किसी बेकसूर को गिरफ्तार कर जेल में डाल दें। बल्कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर सख्त सजा दी जाए।

बता दें कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे। यह घटना देश के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक थी। बीते 21 जुलाई को इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया और सबूतों के अभाव में सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया। इनमें से कई आरोपी 17 साल से अधिक समय से जेल में बंद थे।