
मुंबई में 5000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ- कांग्रेस (Photo: FB)
मुंबई में आगामी बीएमसी चुनावों से पहले कांग्रेस ने सनसनीखेज आरोप लगाया हैं। कांग्रेस की मुंबई इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ (Varsha Gaikwad) ने राज्य की महायुति सरकार पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि मलाड में परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पीएपी) के लिए बनाई जा रही आवासीय परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। उन्होंने इसे मुंबई के इतिहास का सबसे बड़ा पीएपी घोटाला बताया और मांग की कि इस परियोजना को तुरंत रद्द कर उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने नियमों को दरकिनार कर बिल्डर को करोड़ों रुपयों का फायदा पहुंचाया। उनके अनुसार, सरकार ने संजय गांधी नेशनल पार्क से सटे ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZ) को आवासीय क्षेत्र में बदल दिया और उसे पुलिस क्वार्टर के लिए आरक्षित घोषित किया, लेकिन बाद में उसी जमीन पर एक विशाल पीएपी परियोजना खड़ी कर दी गई।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मलाड पूर्व की 8.71 लाख वर्गफुट जमीन को 2018 में नो डेवलपमेंट जोन में चिह्नित किया गया था। यह इलाका पहाड़ी और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है, जहां सड़क और मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
गायकवाड़ ने बताया कि 12 मई 2023 को राज्य सरकार ने नया आदेश जारी कर नो डेवलपमेंट जोन को आवासीय क्षेत्र में बदल दिया और उसे पुलिस आवास के लिए आरक्षित कर दिया गया। लेकिन, पुलिस क्वार्टर बनाने की बजाय बिल्डर ने 20 जून 2023 को बीएमसी की निविदा में हिस्सा लेकर 13,347 पीएपी फ्लैटों के निर्माण का ठेका हासिल किया। इसके बदले में बिल्डर को भूमि टीडीआर, निर्माण टीडीआर और क्रेडिट नोट खुले बाजार में बेचने की अनुमति मिली।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस आवास के लिए 3.48 लाख वर्गफुट जमीन तय की गई थी, जबकि पीएपी के लिए 5.23 लाख वर्गफुट जमीन दी गई। नियमों के अनुसार, पहले पुलिस क्वार्टर तैयार कर बीएमसी को सौंपे जाने थे, लेकिन बिल्डर के फायदे के लिए इस नियम को बदल दिया गया और 17 अगस्त 2023 को शहरी विकास विभाग ने दोनों प्रोजेक्ट को साथ-साथ विकसित करने की मंजूरी दे दी।
गायकवाड़ के मुताबिक, बीएमसी की तकनीकी समिति ने एक पीएपी फ्लैट की कीमत 32.21 लाख रुपये (जीएसटी छोड़कर) आंकी थी, जबकि बिल्डर ने 58.18 लाख रुपये (जीएसटी सहित) की मांग की। इतना ही नहीं, उसने प्रति यूनिट 44 लाख रुपये अतिरिक्त ‘वायबिलिटी गैप फंडिंग’ के रूप में मांगे।
कांग्रेस नेता ने कहा, जानबूझकर की गई देरी के कारण जमीन की कीमतों में 58 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई, जिससे डेवलपर का प्रीमियम 4,299 करोड़ से बढ़कर 4,741 करोड़ रुपये हो गया। जबकि अभी तक एक भी ईंट नहीं रखी गई है, बीएमसी ने पहले ही 948 करोड़ रुपये के क्रेडिट नोट जारी कर दिए और 10.44 लाख वर्गफुट जमीन सौंप दी।
गायकवाड़ ने आरोप लगाया कि यह परियोजना अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में बनाई जा रही है। इस परियोजना को महत्वपूर्ण परियोजना घोषित कर बीएमसी ने लगभग सभी विकास शुल्क और प्रीमियम माफ कर दिए, जिससे नगर निगम (BMC) को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जबकि बिल्डर ने बिना काम पूरा किए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ कमाया।
Published on:
03 Nov 2025 08:53 pm
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