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‘चैन नहीं मिल रहा, OBC समाज के लिए कुछ करना है’, युवक ने नींबू के पेड़ से लगाई फांसी

Youth Ends Life For OBC Reservation: महाराष्ट्र के परभणी जिले में एक 22 वर्षीय युवक ने ओबीसी आरक्षण के लिए आत्महत्या कर ली। पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद कर लिया है और आगे की जांच चल रही है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 25, 2025

Maharashtra Youth Suicide OBC Reservation

परभणी जिले (Parbhani Youth Suicide) से आई एक दर्दनाक खबर ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर दिया है। जिंतुर तालुका के आडगाव दराडे गांव में 22 वर्षीय युवक कुमार नारायण आघाव ने ओबीसी आरक्षण के लिए अपनी जान दे दी। युवक ने अपने ही खेत में नींबू के पेड़ से फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर लिया। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और उसकी चार बहनें भी हैं। उसकी मौत से पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है।

पुलिस को मौके पर एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें कुमार ने साफ लिखा है कि ओबीसी आरक्षण खत्म हो रहा है और इस वजह से वह पिछले कई दिनों से बेचैन है। उसे लगता था कि भविष्य में इसी आरक्षण के सहारे कुछ बेहतर कर पाएगा, लेकिन अब सब खत्म हो गया है।

गांववालों के मुताबिक, कुमार बुधवार सुबह खेत की ओर गया और वहीं फांसी लगाकर उसने जान दे दी। उसके सुसाइड नोट में लिखा है कि “ओबीसी समाज के लिए मैं अपना बलिदान दे रहा हूं।” जब पुलिस ने उसके कपड़ों की तलाशी ली तो उसमें एक पत्र मिला। पत्र में लिखा था कि ओबीसी समाज (मराठा आरक्षण से) को बड़ा नुकसान हुआ है। इसलिए मैंने ओबीसी समाज के लिए जान देने का निर्णय लिया है। मैं अपने समाज के लिए कुछ करना चाहता था।

इस घटना के बाद पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है। एक ओर जहां मराठा समाज के कई लोग आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्याएं कर चुके हैं, वहीं अब ओबीसी समुदाय के युवा भी अपना आरक्षण खत्म होने के डर से जान देने जैसा चरम कदम उठा रहे हैं।

गौरतलब हो कि पिछले महीने मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटील ने बड़ा आंदोलन किया। उन्होंने पांच दिन तक अनशन किया और इस दौरान राज्यभर से हजारों मराठा उनका समर्थन करने के लिए मुंबई पहुंचे। भारी दबाव के चलते फडणवीस सरकार को कई फैसले लेने पड़े, जिनमें मराठाओं को आरक्षण देने के लिए हैदराबाद गैजेट लागू करने का निर्णय लिया गया। इससे मराठाओं को कुनबी श्रेणी के तहत ओबीसी आरक्षण का फायदा मिलने का रास्ता खुल गया। दरअसल कुनबी कृषि प्रधान समुदाय है, जो ओबीसी में आता है। इस वजह से ओबीसी समुदाय में बेचैनी और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।