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क्यों फ्लेक्सीकैप फंड्स पोर्टफोलियो का अनिवार्य हिस्सा बनते जा रहे हैं?

2025 के पहले छह महीनों में फ्लेक्सीकैप फंड्स में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है।

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2025 के पहले छह महीनों में फ्लेक्सीकैप फंड्स में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है। यह बड़ा निवेश इस बात का प्रमाण है कि निवेशक यह समझ चुके हैं कि आज के परिवर्तनशील बाजार में निवेश का पारंपरिक कठोर दृष्टिकोण पुराना हो चुका है, जिसे बदलने की जरूरत है। साल 2025 की पहली छमाही में लार्जकैप स्टॉक्स ने 6.98 प्रतिशत का रिटर्न दिया। मिडकैप स्टॉक्स में 4.25 प्रतिशत तथा स्मॉलकैप स्टॉक्स में 0.83 प्रतिशत का रिटर्न मिला। इस अंतर से विशेष मार्केटकैप श्रेणियों पैसा फँस जाने के बाद निवेशकों के सामने आने वाली चुनौती उजागर होती है।
एक अच्छी तरह से प्रबंधित फ्लेक्सीकैप फंड में लगे पैसे ने इस अंतर से सुरक्षा प्रदान की। निवेश को अनेक सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाली स्कीम्स में लगाया गया, जिससे पिछले कुछ महीनों में 20 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न प्राप्त हुआ। यह लाभ केवल किस्मत से नहीं मिला, बल्कि उन मैनेजर्स की बदौलत मिला, जो बाजार को भांपकर उन फंड्स में पैसा लगाते थे, जहां पर वृद्धि के अवसर मौजूद थे। सितंबर, 2020 में सेबी ने मल्टी-कैप फंड्स के आवंटन के नियमों में संशोधन करते हुए एक सर्कुलर जारी किया और यह नियम बना दिया कि इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में अपने कुल एस्सेट के कम से कम 75 प्रतिशत हिस्से का आवंटन इस प्रकार हो कि लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप ईक्विटीज़ में से प्रत्येक को कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा मिले। नियमों में इस परिवर्तन ने म्यूचुल फंड का परिदृश्य बुनियादी तौर से बदल दिया।

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फ्लेक्सीकैप फंड ने एक पृथक श्रेणी का निर्माण किया

इस आदेश से पहले लार्जकैप फंड्स की पूंजी को मिडकैप फंड्स और स्मॉलकैप फंड्स में बिना किसी प्रतिबंध के लगाया जा सकता था। सेबी द्वारा अक्टूबर 2017 में किए गए वर्गीकरण के दिशानिर्देशों का उद्देश्य था कि फंड्स अपने नाम के अनुरूप ही रहें। इससे आवश्यक स्पष्टता तो आई, पर साथ ही कुछ प्रतिबंध भी लगे। सेबी ने नियमों की इस कठोरता को लचीला बनाने के लिए फ्लेक्सीकैप फंड की एक पृथक श्रेणी का निर्माण किया। फ्लेक्सीकैप फंड्स की कम से कम 65 प्रतिशत पूंजी का निवेश ईक्विटी या फिर ईक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में होना अनिवार्य है पर फ्लेक्सीकैप फंड और मल्टीकैप फंड में मूलभूत अंतर यह है कि मार्केट कैपिटलाईजेशन में फ्लेक्सिकैप फंड के लिए न्यूनतम आवंटन की कोई शर्त नहीं है। कुछ अवधियों में मल्टीकैप फंड फ्लेक्सीकैप फंड से बढ़त प्रदान करते हैं। यह खासकर तब होता है, जब लार्जकैप फंड सबसे अधिक बढ़ रहे होते हैं और फ्लेक्सीकैप मैनेजर उस सेगमेंट में अंडरवेट बने रहने का फैसला करते हैं। लेकिन कभी-कभी होने वाला यह कमजोर प्रदर्शन कोई कमी नहीं है, बल्कि फ्लेक्सिबिलिटी का नतीजा है।

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सही टाइमिंग से वास्तविक पूंजी का निर्माण

अरिहंत बर्डिया, सीआईओ और फाउंडर, वैलट्रस्ट के अनुसार, नियमों में विरोधाभास के कारण फ्लेक्सिबिलिटी में भी कमियां हो सकती हैं। ऐसा तब होता है, जब बाजार में तेजी उन सेगमेंट्स में होती है, जिनमें पूंजी का आवंटन प्रतिबंधित होता है। जब टाइमिंग सही होती है, तब स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक वास्तविक पूंजी का निर्माण करते हैं। एक छोटी फार्मास्युटिकल कंपनी में किया गया निवेश, उनकी दवा को स्वीकृति मिलते ही 10 गुना बढ़ सकता है। एक मिडकैप टेक फर्म के पास अचानक कई सारे कॉन्ट्रैक्ट आ सकते हैं। लेकिन इस तरह के निवेश की चुनौती है, इन अवसरों की सही टाईमिंग के साथ तालमेल बनाना। फ्लेक्सीकैप फंड व्यवसायिक रूप से इस समस्या का समाधान करते हैं। जब स्मॉलकैप सस्ते होते हैं और लोग उनमें पैसा नहीं लगा रहे होते हैं, तब मैनेजर उनमें अधिक निवेश कर सकते हैं। लेकिन जब ये फंड जरूरत से ज्यादा महंगे हो जाते हैं, तब मैनेजर उनमें से पैसा निकालकर सुरक्षित लार्जकैप्स में लगा सकते हैं। यह एक व्यवसायिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट है, जो आवंटन के कठोर प्रतिबंधों के बिना पारदर्शिता के साथ होता है। आज बाजार ज्यादा जटिलता के साथ काम कर रहे हैं। सेक्टर-वाइज नेतृत्व और मार्केट-कैप की पसंद में पिछले दशकों के मुकाबले ज्यादा बार परिवर्तन हो रहा है। किसी तिमाही में टेक्नोलॉजी के स्टॉक सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो वहीं अगली तिमाही में हैल्थकेयर के स्टॉक सबसे आगे हो जाते हैं। पारंपरिक फिक्स्ड-आवंटन की रणनीतियां इन बदलते अवसरों का लाभ लेने से चूक जाती हैं। वर्तमान में 39 फ्लेक्सीकैप स्कीम्स 4.35 लाख करोड़ रुपए का प्रबंधन करती हैं। इसलिए, ये सेक्टरवाईज़ फंड के बाद दूसरी सबसे बड़ी ईक्विटी श्रेणी है। जहां सेक्टरवाइज फंड विशिष्ट क्षेत्रों में अवसर प्रदान करते हैं, वहीं फ्लेक्सीकैप फंड अपने फंड को डाईवर्सिफाई करके पूरे बाजार में हो रहे परिवर्तनों का लाभ लेने के अवसर प्रदान करते हैं।

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रणनीति में अपने निवेश को बनाए रखने की आवश्यकता

फ्लेक्सीकैप फंड्स में 31,532 करोड़ रुपए के इन-फ्लो से निवेशकों की बढ़ती रुचि प्रदर्शित होती है। इसे यह स्पष्ट होता है कि बाजार का नेतृत्व पहले के मुकाबले अधिक तेजी से बदल रहा है। फ्लेक्सीकैप फंड किसी एक क्षेत्र या शैली में बंधे बिना वृद्धि से लेकर मूल्य तक तथा घरेलू से लेकर निर्यात पर केंद्रित क्षेत्रों तक हो रहे परिवर्तनों का लाभ उठाने की क्षमता प्रदान करते हैं।
निवेशकों को अपना ध्यान हर परिवर्तन के सही समय का आकलन करने या सही सेगमेंट की पहचान करने पर केंद्रित करने की जरूरत नहीं, उन्हें तो बस एक रणनीति में अपने निवेश को बनाए रखने की आवश्यकता है, जो गतिशील रहते हुए अनुकूलित होती रहे। फ्लेक्सीकैप फंड यह अनुकूलित बढ़त प्रदान करते हैं। ये फंड दीर्घकालिक निवेश पोर्टफोलियो के अनुरूप हैं, खासकर उस समय, जब अनिश्चितता और अस्थिरता बाजार का हिस्सा हों।

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फ्लेक्सिबिलिटी केवल अच्छी बात नहीं, आवश्यक भी

जब हाल ही में बेंचमार्क सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तर से गिरकर 10 प्रतिशत पर पहुंचा, तो फ्लेक्सीकैप मैनेजर्स को उसमें अवसर दिखाई दिए। क्वालिटी स्मॉल और मिडकैप स्टॉक काफी रियायती मूल्यों पर उपलब्ध हुए। जहां रिटेल निवेशकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट करना शुरू कर दिया, वहीं इन मैनेजर्स ने ओवरसोल्ड सेगमेंट्स खरीद लिए। फ्लेक्सीकैप फंड एडवाइजर्स और निवेशकों, दोनों के लिए इसलिए अच्छे हैं, क्योंकि जब अन्य फंड पीछे हट जाते हैं, तब ये फंड उन्हें सहारा देते हैं। इसलिए फंड मैनेजर फिक्स्ड आय में निवेश करने की बजाय मार्केट कैप स्पेक्ट्रम में इन अंडरवैल्यूड अवसरों में सोचा-समझा निवेश कर सकते हैं। फ्लेक्सीकैप फंड में 30,000 करोड़ रुपए का निवेश केवल इस फंड श्रेणी की बढ़ती लोकप्रियता प्रदर्शित नहीं करता है। बल्कि यह निवेशकों की इस बढ़ती समझ को भी दर्शाता है कि आज के बाजार में बने रहने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी केवल अच्छी बात नहीं, बल्कि बहुत आवश्यक है। जब आप यह अनुमान न लगा सकें कि अगला अवसर कहां उत्पन्न होने वाला है, तो सबसे स्मार्ट तरीका यह है कि आप अपने निवेश को हर संभावित जगह बनाकर रखें। फ्लेक्सीकैप फंड यही करते हैं। इसीलिए किसी भी दीर्घकालिक पोर्टफोलियो के लिए इन पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है।

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