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मिलीभगत की बस्तियां:शहर में अवैध बसावट स्थिति बिगड़ी, बस रहा झुग्गियों का अवैध नगर, लेकिन बेखबर जिम्मेदार

-शहर में जगह-जगह बसी रही अवैध बस्तियां, बिना स्वीकृति जमीन पर बसी पूरी झुग्गी कॉलोनी, न तो पट्टा, न रजिस्ट्री, फिर भी बेखौंफ रह रहे अनजान लोग, नगर परिषद और प्रशासन बेखबरनागौर. शहर के विभिन्न हिस्सों में इधर, उधर खाली जगहों पर झु़ग्गी-झोपडिय़ों की बाढ़ आ गई है। जहां-तहां मनमनर्जी से झोपडिय़ां या टेंट आदि […]

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-शहर में जगह-जगह बसी रही अवैध बस्तियां, बिना स्वीकृति जमीन पर बसी पूरी झुग्गी कॉलोनी, न तो पट्टा, न रजिस्ट्री, फिर भी बेखौंफ रह रहे अनजान लोग, नगर परिषद और प्रशासन बेखबर
नागौर. शहर के विभिन्न हिस्सों में इधर, उधर खाली जगहों पर झु़ग्गी-झोपडिय़ों की बाढ़ आ गई है। जहां-तहां मनमनर्जी से झोपडिय़ां या टेंट आदि डालकर रहने वालों की संख्या गत तीन से चार सालों में तेजी से बढ़ी है। अब यह लोग कौन हैं, कहां से आ रहे हैं, और किसकी अनुमति से यह खाली जगहों पर सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जे कर रह रहे हैं सरीखे सवालों को पूछने के लिए जिम्मेदारों के पास फुरसत नहीं है। विशेषकर मूण्डवा चौराहा एवं नया दरवाजा से दिल्ली दरवाजा जाने वाले रोड के पास भी खाली जमीनों पर रहने वालों की संख्या तेजी बढ़ चुकी है। विशेष बात यह भी है कि इसमें तो कई जगहों पर लोगों के पास बिजली तक की भी सुविधाएं हैं। प्रशासन की नाकतले रह रहे लोग, लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कोई कार्रवाही नहीं किए जाने के कारण हालात अब विकट होते नजर आने लगे हैं।
सरकारी जमीनों पर बढ़ रही झुग्गी झोपडिय़ों की संख्या
शहर में बढ़ती आबादी के साथ ही अब सरकारी जमीनों पर संकट मंडराने लगा है। शहर में जहां-तहां खाली पड़ी जमीनें मिली नहीं, तुरन्त ही वहां पर पहले कच्ची झोपड़ी बनती है, फिर बाद में पक्की बन जाती है। इस तरह के झुग्गी-झोपडिय़ों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदारों ने अब तक इसकी जांच करने की जहमत नहीं उठाई है। अब स्थिति यह होने लगी है कि नागौर शहर में बड़ी संख्या में से प्रवेश कर चुके रह रहे लोग शहर की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और इंटेलिजेंस विभाग की ओर से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
नागौर पुलिस विभाग इस मामले की जांच और मॉनिटरिंग में पूरी तरह फेल हैं। न तो बाहरी लोगों के आवागमन पर कोई प्रभावी निगरानी है और न ही उनकी पहचान या पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है। इस निष्क्रियता से शहर में कानून-व्यवस्था पर खतरा मंडरा रहा है।
स्थानीय नागरिकों में बढ़ता भय और असंतोष
स्थानीय लोग डर और असुरक्षा महसूस कर रहे हैं। वे बताते हैं कि बाहरी लोग बिना किसी रोक-टोक के शहर में स्वतंत्र घूम रहे हैं, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ रहा है। कई बार पुलिस में शिकायतें की गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
विशेषज्ञों का विचार
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बाहरी अवैध आबादी की निगरानी और कागजी कार्रवाई जरूरी है। पुलिस विभाग की निष्क्रियता से न केवल सुरक्षा खतरे बढ़ेंगे,बल्कि सरकारी जमीनों पर भी फिर पक्के कब्जे हो जाएंगे। नहीं बताए जाने पर ऐसे रहवासों के निकट रह ही कॉलोनियों के लोग भी इससे परेशान होने के साथ ही डरे-सहमे रहने लगे हैं। कारण किसी को नहीं पता कि यह कहां से आए हैं, कल को कोई घटना हो जाए तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा। घटना हुई तो फिर प्रशासन हमेसा की तरह खानापूर्ति कर हर बार की तरह पल्ला झाड़ लेगा। शहरवासियों की माने तो आबादी का फैलाव पुलिस विभाग की नाकामी को दर्शाता है। प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इस मामले की गहन जांच कर, प्रभावी निगरानी और कठोर कार्रवाई करनी होगी, नहीं तो शहर का सामाजिक और सुरक्षा ताना-बाना गंभीर खतरे में पड़ जाएगा।
प्रशासनिक कार्यशैली पर लगा सवालिया निशान
इस स्थिति ने प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिस और इंटेलिजेंस विभाग इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं? क्या शहर की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं…?