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ब्रांड राजस्थान की चमक में गुमनाम पानमैथी उत्पादक किसानों की मेहनत

खजवाना. नागौर जिले की खुशबूदार पान मैथी अब ‘सरकारी पहचान’ की दहलीज पर खड़ी है, लेकिन सरकारी तंत्री की उदासीनता के कारण जीआई टैग का तमगा भी किसानों को राहत नहीं दे पाएगा। ‘ब्रांड राजस्थान’ की बात करने वाली सरकार, खेतों में गुमनाम पड़ी किसानों की मेहनत की असली जिम्मेदार है।

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खजवाना. कस्बे के एक खेत में नागौरी पान मैथी सूखाता किसान।

- जीआई टैग की दहलीज पर खड़ी नागौरी पान मैथी, मण्डी में खरीद को तरसी :

- करीब तीन सौ करोड़ की मैथी हर साल बिकती सड़क पर-मंडी के लिए बजट जारी नहीं होने से पांच सालों में बनी सिर्फ चार दीवारी

- एक तरफ ‘ब्रांड राजस्थान’ की बात, दूसरी ओर खेतों में गुमनाम पड़ी मेहनत

खजवाना. नागौर जिले की खुशबूदार पान मैथी अब ‘सरकारीपहचान’ की दहलीज पर खड़ी है, लेकिन सरकारी तंत्री की उदासीनता के कारण जीआई टैग का तमगा भी किसानों को राहत नहीं दे पाएगा। ‘ब्रांडराजस्थान’ की बात करने वाली सरकार, खेतों में गुमनाम पड़ी किसानों की मेहनत की असली जिम्मेदार है। पिछले पांच साल से पान मैथी की मण्डी में खरीद की बातें कागजों में जोर-शोर से चल रही हैं। धरातल पर दिखाई देती कछुआ चाल किसानों का दर्द बढ़ा रही है। जिला प्रशासन ने पान मैथी को ‘एक जिला- एक उत्पाद’ में भी शामिल कर रखा है, लेकिन किसानों को इसका फायदा मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। दूसरी ओर सड़क किनारे व्यापारी बनकर खड़े बिचौलिए किसानों की मेहनत को मनमाने दाम पर खरीदते हैं।

किसानों के साथ दूसरी सबसे बड़ी समस्या नागौरी पान मैथी के बीज को लेकर है। जब से पान मैथी की बुवाई शुरू हुई है, तब से आज तक बोये हुए बीज को वापस बोया जा रहा है। इससे बीज की अनुवांशिक शक्ति क्षीण होने के साथ इसमें खरपतवार की मात्रा बढ रही है। अगर नागौरी पान मैथी के बीज को नहीं बचाया गया तो अपनी विशिष्ट खुशबू के लिए पहचानी जाने वाली नागौरी पान मैथी घास बनकर रह जाएगी।

जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र होने के बावजूद न तो बीज की अनुवांशिकता पर काम हुआ है और न ही सीड रिप्लेसमेंट की तरफ किसी का ध्यान है। समीपवर्ती अजमेर जिले में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र भी इस पर खास काम नहीं कर रहा। ऐसे में जीआई टैग मिलने की सारी कसौटियाें पर खरी उतरने वाली नागौरी पान मैथी उपेक्षा की शिकार है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि पान मैथी का अधिकृत बीज पूसा में भी उपलब्ध नहीं है, जबकि साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर पूसा के अधिकृत बीज का उत्पादन कर किसानों को वितरित करने का काम शुरू कर चुका है। इससे जाहिर है कि कृषि अनुसंधान केन्द्र भी किसानों के लिए कितना निष्क्रिय है।

किसान आधारभूत सुविधाओं को मोहताज

गौरतलब है कि प्रति वर्ष करीब 300 करोड़ का कारोबार देने वाली नागौरी पान मैथी के किसान आधारभूत सुविधाओं के मोहताज हैं। न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही जलपान की, जबकि दो प्रतिशत के हिसाब से सरकार मण्डी टैक्स भी वसूल रही है। किसानों की मांग है कि सरकार जलपान गृह खोलकर किसानों को होने वाली असुविधा से निजात दिलाएं।

बिना ग्रेडिंग मनमाने भाव

खेत में कई दिन की मेहनत के बाद जब किसान पान मैथी को बेचने के लिए लेकर जाता है तो बिचौलिए बिना किसी ग्रेडिंग चार्ट के हाथ में लेकर भाव तय करते हैं। वहीं पान मैथी के भाव शेयर बाजार की तर्ज पर असामान्य रूप से कभी 50 रुपए किलो तो कभी 180 रुपए किलो हो जाता है। इससे किसानों का बजट बड़बड़ा जाता है।

इनका कहना है...

2021 में मूण्डवा में पान मैथी मण्डी के लिए जमीन आवंटन हुई। फरवरी 2022 में पजेशन मिला, 2023-24 में जारी बजट से चार दीवारी का काम पूरा हो चुका है। मॉडल मण्डी का प्रस्ताव जून 2025 में बनाकर भिजवा दिया है, लेकिन बजट जारी नहीं होने से यार्ड बनाने से लेकर आधारभूत विकास का काम अटका हुआ है।

- रघुनाथराम सिंवर, सचिव, कृषि उपज मण्डी, नागौर

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केवीके में नागौरी पान मैथी को लेकर कोई काम नहीं हो रहा। पूसा में भी अधिकृत बीज नहीं मिला। जीआई टैग मिलेगा तो जोधपुर-फलौदी-नागौर वैरायटी का बीज क्रॉस करवाकर नया बीज बनाया जाएगा। यह लम्बी प्रक्रिया है।

- डाॅ हरिराम चौधरी, कृषि वैज्ञानिक, केवीके, नागौर।