
illegal mining mafia eyeing nagdah tekri and future naglok (फोटो- सोशल मीडिया)
Illegal Mining Mafia:नागदा शहर की ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहर भी खतरे में आ चुकी है। जिसके नाम से शहर का नामकरण हुआ है, उस नागदाह टेकरी (Nagdah Tekri) के अस्तित्व को भी समाप्त करने की नापाक कोशिश हो रही है। इससे खनन माफियाओं के निशाने पर भविष्य का नागलोक भी बलि का भेंट चढ़ सकता है, क्योंकि जहां नागलोक (Naglok) का निर्माण होना है, वहां खुदाई के साथ ईंट भट्टों ने आकार ले लिया है।
यहीं नहीं टेकरी तक जाने का रास्ता तक खत्म कर दिया है तो नदी की ओर से लगातार इसकी खुदाई करने से यहां खाई बन चुकी है। इससे ऐतिहासिक धरोहर बचाओ समिति की सालों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पत्रिका टीम ने रविवार को मौके पर स्थिति देखी तो हैरान कर देने वाली थी, लेकिन खास बात यह है कि जिम्मेदार राजस्व विभाग के अधिकारियों को नियमों की अवहेलना होते यह दृश्य राजनीतिक दबाव में नजर ही नहीं आ रहे हैं। (MP News)
रविवार को पत्रिका टीम उज्जैन-जावरा स्टेट हाईवे से जूना नागदा की ओर गई। जो नगरीय सीमा क्षेत्र के वार्ड में शामिल है। मुख्य सड़क से 200 मीटर जाते ही ईंट भट्ठे शुरु हो गए। इसके बाए ओर से टेकरी जाने का रास्ता है। इस रास्ते के दोनों और कभी खुली जमीन थी, लेकिन अब यहां दोनों ओर कतार से भट्ठे लगे हुए हैं। गांव की सीमा तक पहुंचने पर टेकरी जाने का रास्ता ही नजर नहीं आया, जब दूसरी ओर देखा तब जाकर रास्ता मिला। वहां तक पहुंचने के बाद का नजारा कुछ और ही था।
टेकरी पूर्ण रूप से हरियाली से ढंकी हुई थी। दो हिस्सों में विभाजित टेकरी के एक हिस्से पर जाना आसान था, लेकिन दूसरे हिस्से के रास्ते पर ईंट भट्टा लग चुका था। ऐसे में उस हिस्से पर पहुंचना नामुकिन हो चुका है। यहीं नहीं जब एक हिस्से पर टीम पहुंची तो टेकरी के आसपास भी खुदाई नजर आई, जो खाई का रूप लेकर हरियाली से ढंक चुकी थी। जब टेकरी से आसपास नजर दौड़ाई तो बस ईंट भट्ठे ही नजर आए। ऐसे में यहां बनने वाले भविष्य के नागलोक पर भी खतरा मंडराता नजर आया।
नपा द्वारा सिंहस्थ मद में नागदाह टेकरी संरक्षण और चंबल तट स्थित चामुंडा माता मंदिर पर घाट निर्माण को लेकर प्रस्ताव भेजा था। इन दोनों कार्यों को सीएम मॉनीट सी में शामिल करते हुए नपा से डीपीआर मांगी गई है, ताकि आगामी बजट सत्र में इसे शामिल किया जा सके। नपा इंजीनियर द्वारा नागदाह टेकरी को संरक्षित करने के उद्देश्य से उज्जैन की तर्ज पर यहां नागलोक निर्माण की डीपीआर बनाने की तैयारी भी शुरु कर दी है।
इसमें लगभग 4 करोड़ की डीपीआर बनाई जा रही है, ताकि सिंहस्थ के दौरान आने वाले यात्री उज्जैन के साथ नागदा भी इस नागलोक को देखने पहुंचे, लेकिन इस भविष्य के नागलोक पर अभी से खतरा मंडराता जा रहा है, क्योंकि यहां स्थित सरकारी जमीन पूरी तरह से कब्जे में हो चुकी है और इस टेकरी के आसपास खुदाई तक हो चुकी है।
पत्रिका टीम ने आसपास की स्थिति को देखा तो पता चला कि नदी में जाने वाले नाले का रास्ता पलट दिया गया है। इस पानी का उपयोग भट्टों पर हो रहा है, यह अच्छी बात है, क्योकि गंदे नाले के पानी को नदी में मिलने से रोका जा रहा है, परंतु नदी में ही 20 फीट का भराव कर भट्टे का संचालन हो रहा है। इन सब बातों की जानकारी अधिकारियों को भी है, लेकिन सब चुप बैठे है।
ऐतिहासिक धरोहर बचाओ समिति बीते 13 साल से शहर की इस ऐतिहासिक महाभारत कालीन धरोहर नाग टेकरी को बचाने के प्रयास कर रही है। इसके संरक्षण की मांग को लेकर नपा से लेकर कलेक्टर तक और भोपाल से लेकर दिल्ली तक पत्र और शिकायत कर चुकी है। यहां तक जनसुनवाई में भी लगातार 50 से अधिक बार मामले को उठा चुकी है।
समिति की मांग पर ही पूर्व नपाध्यक्ष शोभा गोपाल यादव और अशोक मालवीय ने नपा में प्रस्ताव भी स्वीकृत किया था। वर्तमान अध्यक्ष संतोष ओपी गेहलोत ने भी समिति की मांग पर इसे सिंहस्थ मद में शामिल करने पत्र लिखा था। जिस पर इसे सीएम मॉनिट सी में शामिल किया गया है। लेकिन यहां खुदाई और ईट भट्टों का संचालन होने से इसका संरक्षण तो दूर अब इसके अस्तित्व को बचाने पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। (MP News)
Published on:
24 Nov 2025 01:55 pm
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