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माता के इस मंदिर में ‘पीरियड्स’ में महिलाओं को है प्रवेश की अनुमति, बलि वर्जित

Shardiya Navratri 2025: अधिकांश माता मंदिरों में बलि देने की परंपरा है, लेकिन यहां बलि देना भी वर्जित है।

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(सोर्स: सोशल मीडिया)

(सोर्स: सोशल मीडिया)

Shardiya Navratri 2025: मुख्य सड़क से अलग खेतों के बीचों-बीच बना मां कामाख्या का मंदिर। यहां शांति और सुकून का एक अलग ही आभास होता है। दिखने में यह महज एक साधारण मंदिर है, लेकिन इसकी चमत्कारिक मान्यता और खासियत की वजहों से यह मंदिर याती प्राप्त कर चुका है। नवरात्र में यहां भजन-कीर्तन, कन्या पूजन जैसे अनुष्ठान हो रहें हैं। भक्त दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए आ रहें हैं।

यहां बलि देना भी वर्जित

वैसे तो देश के असम, उत्तराखंड, यूपी के अलावा मप्र के जबलपुर, उज्जैन जिले में मां कामाख्या के मंदिर बताए जाते है, लेकिन मंदिर के महंत चांदुगिरी महाराज का दावा है कि भीकमपुर में विराजित मां कामाख्या की प्रतिमा हुबहू देश के प्राचीन मंदिरों में शुमार गुवाहाटी (असम) के मंदिर में विराजित माता की प्रतिमा के जैसी है। चांदुगिरी कहते हैं- मंदिर की पूरी व्यवस्थाएं देवी मां की मंशानुसार ही संचालित होती है।

पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है, लेकिन भीकमपुर में बने माता मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहां मासिक धर्म के दौरान भी महिलाओं को मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति है। अधिकांश माता मंदिरों में बलि देने की परंपरा है, लेकिन यहां बलि देना भी वर्जित है।

चार दिन बंद रहते है पट

असम की कामाख्या मंदिर की तर्ज पर भीकमपुर के इस मंदिर के पट भी अषाढ़ माह में चार दिनों के लिए बंद रखे जाते है। इसकी वजह महंत चांदुगिरी महाराज बताते हैं कि इस माह में देवी रजस्वला (मासिक धर्म) होती है। हर साल 22 जून को सुबह 10.30 बजे मंदिर के पट बंद किए जाते है, जो 26 जून को सुबह 10.30 बजे खोले जाते है। इस बीच किसी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है। पट खुलने के बाद भक्तों को विशेष प्रसाद के रुप में कंकू व मासिक धर्म में उपयोग किया जाने वाला वस्त्र वितरित किया।

गर्भगृह में तीन शक्तियों का संगम

मंदिर की आभा हर किसी को मनमोहित करती है और मंदिर के गर्भगृह में तीन शक्तियों का संगम है। बीच में मां कामाया और इनकी बांयी तरफ मां लक्ष्मी और दायीं तरफ कुबेरजी विराजित है। सामने ही भगवान विश्वकर्मा का मंदिर भी है।