Narmadapuram News: श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास की ओर से नर्मदापुरम् स्थित अग्रणी शासकीय गृह विज्ञान महाविद्यालय में शोध संगोष्ठी 'पुरुषार्थ' का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में 'रामायणकालीन अभियांत्रिकी' विषय पर इंदौर के वरिष्ठ अभियंता और शोधार्थी श्रीनिवास कुटुम्बले ने उद्बोधन दिया। वहीं 'जीवन प्रबंधन में श्रीरामचंद्र' विषय पर नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं शोधार्थी डॉ. आदित्य शुक्ल ने उद्बोधन दिया।
इस अवसर पर कुटुम्बले ने कहा कि, 'मैंने जब वाल्मीकि रामायण का अध्ययन किया तो पाया, आज वैज्ञानिक अपने तकनीकी ज्ञान से जिन बातों का अध्ययन कर रहे हैं, उस अध्ययन से जिन निष्कर्षों पर पहुंचे हैं, वह तकनीकी ज्ञान तो युगों पूर्व ही हमारे ऋषि-मुनियों को था। हमारे समाज में रामायण धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हर घर में पढ़ी जाती है, किन्तु धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ अगर एक व्यापक दृष्टिकोण से इन ग्रंथों का अध्ययन हो तो, बहुत से विषय सामने आएंगे, जो भविष्य में विश्व का मार्गदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि मेरे अध्ययन के दौरान 12 विषय ऐसे रहे जिन पर सभी को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इनमें वाल्मीकि रामायण में इंजीनियरिंग (पृष्ठभूमि), नगर नियोजन तथा भवन निर्माण, भूगर्भ शास्त्र, गंगा अवतरण, हाईवे का निर्माण, कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट-प्रीफैब निर्माण-इवेंट मैनेजमेंट और मनोरंजन, टेंट नगरी की स्थापना, एल-1 पॉइंट, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, सेतु बंधन, आर्टिफिशियल इमेजिंग, वैमानिक इंजीनियरिंग जैसे विषयों का समावेश है। रामायण में अयोध्या, किष्किंधा तथा लंका शहर का वर्णन पढ़ते समय ऐसा लगता है मानो किसी भी आधुनिक श्रेष्ठ नगर का वर्णन हम पढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रयागराज में मुनि के द्वारा किया गया अलौकिक आतिथ्य तथा कुछ ही समय में सभी सुविधाओं का निर्माण करना, गंगावतरण की प्रक्रिया का वर्णन, हंस युक्त पुष्पक विमान, सीताजी को खोजने के लिए किया गया चतुर्दिक दीपो का वर्णन, जो आज के जीपीएस से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक स्थल वाल्मीकि रामायण से साफ-साफ दर्शाते हैं कि देवभूमि भारत कितना महान था। हमारी इस सांस्कृतिक वैज्ञानिक विरासत का यह एकत्रित सप्रमाण प्रतिपादन अत्यंत प्रशंसनीय है।
वक्ता डॉ. आदित्य शुक्ल ने 'जीवन प्रबंधन में श्रीरामचंद्र जी' विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान युग में युवा जीवन और समय प्रबंधन को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं। ऐसे में हमें श्रीरामचंद्र जी से जीवन और समय दोनों के प्रबंधन के गुर सीखने चाहिए कि, श्रीराम का जीवन आदर्श चरित्र, कर्तव्यनिष्ठा, धैर्य और संगठन क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने हर परिस्थिति में संतुलित निर्णय लिए, चाहे वह पारिवारिक, सामाजिक या राज्य संबंधी हों। श्रीराम की नीति एवं कार्यप्रणाली में आधुनिक प्रबंधन के सभी सिद्धांत जैसे योजना, विश्लेषण, क्रियान्वयन, नियंत्रण, समन्वय, प्रेरणा और दिशा-निर्देशन इत्यादि।
नर्मदापुरम में महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में आयोजित इस शोध संगोष्ठी में न्यास प्रभारी अधिकारी अमित कुमार यादव ने बताया कि 'पुरुषार्थ' न्यास की मासिक शोध संगोष्ठी श्रृंखला है, जिसका प्रथम आयोजन नर्मदापुरम् में किया गया है। इस दौरान प्रमुख वक्ताओं समेत संगोष्ठी में प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन और डिप्टी कलेक्टर डॉ. बबीता राठौर उपस्थित थीं।
Updated on:
13 Aug 2025 03:31 pm
Published on:
13 Aug 2025 03:29 pm