साइबर फ्रॉड (फाइल फोटो)
देश में साइबर ठगी (cyber fraud) के नए-नए तरीकों के खुलासे के बाद अब केंद्र सरकार इसकी रोकथाम के लिए एडवांस तकनीक पर काम कर रही है। इसके तहत ऐसा डिजिटल प्री-ऑब्जर्वेशन प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा, जो ठगी के समय तुरंत या प्री-ऑब्जर्व मोड में अलर्ट जारी कर सकेगा। इसके साथ ही फ्रॉड में किसी मोबाइल नंबर उपयोग हुआ है, तो उसे तुरंत बंद करने के लिए एआइ (Artificial intelligence) बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम काम करेगा।
अभी किसी भी गड़बड़ी में कोई मोबाइल नंबर इस्तेमाल होता है, तो उसे बंद करने के लिए जांच एजेंसी और फिर टेलीकॉम एजेंसी तक की चेन होती है। नए अपग्रेड प्लेटफॉर्म में अब गड़बड़ी पर तुरंत साइबर इंटेलीजेंस, बैंकिंग और टेलीकॉम के पास जानकारी पहुंचेगी और उस नंबर या आइपी एड्रेस को बंद किया जा सकेगा।
इसके साथ ही संदिग्ध प्री-डाटा भी एआइ एनालिसिस के जरिए तीनों एजेंसियों के साथ शेयर होगा। गृह मंत्रालय के साइबर व इंटेलीजेंस के तहत बैंकिंग सेटर और टेलीकॉम मंत्रालय के बीच प्री-डेटा एनालिसिस को लेकर रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसके लिए अटूबर के पहले सप्ताह में बैठक भी संभावित है। इसमें तीनों एजेंसियां ऐसा कॉमन नेटवर्क तैयार करेंगी, जो कि बारबार सर्वर बदलने वाले इंटरनेट आइपी एड्रेस से लेकर संदिग्ध मोबाइल नंबरों तक को पहले से निगरानी में ले सके।
कॉमन शेयरिंग के लिए पहले से अलग-अलग श्रेणी में सर्वर व सिम नंबर के डेटा तैयार किए जाएंगे। इसमें अत्यधिक खतरे वाले आइपी एड्रेस व नंबरों को प्रमुखता से शेयर किया जाएगा। इसके तहत फिननेस प्लेटफॉर्म और अपग्रेड किया जाएगा। इसमें तीनों एजेंसियों का एसेस और शेयरिंग को शुरू किया जाएगा।
तीनों एजेंसियों के स्तर पर संदिग्ध सर्वर या मोबाइल सिम को लेकर पहले से प्री-अलर्ट का सिस्टम तैयार किया जाएगा। यह प्री-अलर्ट एजेंसियों के स्तर पर रहेगा, ताकि निगरानी करके समय पर गड़बड़ी को रोका जा सके। अभी तक नंबरों या खातों पर संदिग्ध ट्रांजेशन को ही निगरानी में लिया जाता रहा है, लेकिन अब उसके पहले की एक लेयर तैयार होगी, जो कि ऐसे ट्रांजेशन के पहले ही बैंक खाते खुलवाने या गड़बड़ में पकड़ाने वाले नंबरों-सर्वर को प्री-ऑब्जर्वेशन में ले सके।
Updated on:
29 Sept 2025 09:51 am
Published on:
29 Sept 2025 08:41 am
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