प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने गुरुवार को अपने एक वायरल वीडियो को लेकर छिड़े विवाद पर सफाई दी है। उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मीडिया ने उनके बयान को आधा-अधूरा दिखाकर विवाद खड़ा किया है। अनिरुद्धाचार्य ने स्पष्ट किया कि उनकी बात का मकसद युवाओं को चरित्रवान बनने और पति-पत्नी के प्रति निष्ठा रखने की सलाह देना था, न कि किसी को अपमानित करना।
अनिरुद्धाचार्य ने कहा, "मेरे वीडियो को आधा-अधूरा दिखाया गया, जिससे विवाद पैदा हुआ। पूरी वीडियो देखें, तो मेरी बात स्पष्ट होगी। मैंने पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए कहा कि चरित्रवान बनें। गांव की भाषा में जो मैंने कहा, उसका मतलब चरित्रहीनता से था, जो मैंने दोनों के लिए कहा।" उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी बात का उद्देश्य समाज को नैतिकता और भारतीय संस्कृति की राह दिखाना था।
कथावाचक ने भारतीय शास्त्रों और परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सलाह वही है जो बड़े-बुजुर्ग सिखाते हैं। "मैंने कहा कि अपनी पत्नी या पति के प्रति वफादार रहें। पराई स्त्री या पुरुष की ओर न देखें। माता-पिता बच्चों को चोरी और बुराइयों से बचने की सीख देते हैं। मैंने समाज में बढ़ती अश्लीलता, जैसे अश्लील वीडियो, तस्वीरें और बॉलीवुड के गाने, को भी निशाना बनाया, जो समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।"
उन्होंने मीडिया पर उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। अनिरुद्धाचार्य ने कहा, "मीडिया की जिम्मेदारी है कि पूरी बात दिखाए। आधा दिखाने से विवाद होता है। हमने तो बस चरित्रवान रहने की सलाह दी, जो पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए थी, लेकिन मीडिया ने सिर्फ एक हिस्से को उछाला।"
विवादास्पद बयानों के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी कुछ टिप्पणियां पुराने जमाने के संदर्भ में थीं। "पहले 14-15 साल की उम्र में शादी हो जाती थी। मैंने सिर्फ उस समय की बात की, यह नहीं कहा कि अब ऐसा करें। सरकार ने शादी की उम्र 18 और 21 साल तय की है और हम इसका सम्मान करते हैं," उन्होंने कहा।
अनिरुद्धाचार्य ने भारतीय संस्कृति पर जोर देते हुए कहा, "भारत की पहचान उसकी संस्कृति और संस्कारों से है। हमारा देश अमेरिका या लंदन नहीं है। हमारी संस्कृति हमें चरित्रवान बनने की सीख देती है। मैं चाहता हूं कि यह देश भगवान राम के चरित्र की तरह चरित्रवान बने।"
हाल ही में अनिरुद्धाचार्य के कुछ बयानों, खासकर लिव-इन रिलेशनशिप और महिलाओं की शादी की उम्र को लेकर दिए गए बयानों, ने सोशल मीडिया और समाज में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की थीं। उनके खिलाफ कई शहरों में प्रदर्शन हुए और कानूनी शिकायतें भी दर्ज की गईं। इस विवाद ने एक बार फिर धार्मिक कथावाचकों के बयानों और उनकी सामाजिक जिम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है।
Updated on:
07 Aug 2025 06:08 pm
Published on:
07 Aug 2025 03:49 pm