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बिहार चुनाव परिणाम विश्लेषण: बड़ी जीत के बाद भी नीतीश के सामने आने वाली है एक बड़ी मुश्किल!

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 में से 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है (सुबह 11 बजे तक)। लोकसभा चुनाव में 5 में से 5 सीटें जीतने के बाद, चिराग का स्ट्राइक रेट विधानसभा में भी शानदार दिख रहा है।

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पटना

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Vijay Kumar Jha

Nov 14, 2025

बिहार के सीएम नीतीश कुमार। (फोटो- IANS)

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के वोटों की गिनती से पता चलता है कि चिराग पासवान बड़े विजेता बन कर उभर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद इस विधानसभा चुनाव में भी उनका स्ट्राइक रेट शानदार जाता लग रहा है। 29 सीटों पर लड़े चिराग के उम्मीदवार 19 सीटों पर जीत या बढ़त बनाए हुए हैं (शाम 7.30 बजे तक)।

2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (अविभाजित) सभी 243 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन केवल एक पर जीती थी। इस बीच उनकी पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई और इस बार चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया के रूप में चुनाव का नेतृत्व कर रहे हैं।

चिराग की अगुआई में पार्टी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में एक कुशल पार्टी संचालक की उनकी छवि लगातार मजबूत हो रही है। कहा जाता है कि उनकी सलाह पर ही रमविलास पासवान ने नरेंद्र मोदी के साथ जाने का निर्णय लिया था।

एलजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन

बिहार विधानसभा चुनाव में 2005 से लगातार लोजपा कमजोर ही होती जा रही थी। 15 सालों में 29 से एक सीट पर पहुंच गई थी, लेकिन इस बार स्थिति अलग दिखाई दी रही है।

चिराग की जीत से बढ़ेगी नीतीश की मुश्किल?

चिराग की बड़ी जीत से नीतीश के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है। चिराग ने एनडीए में अब तक जो रुख दिखाया है, वह अपनी बात पर अड़े रहने का रहा है।

सीट बंटवारे के समय भी उन्होंने ऐसा ही रुख दिखा कर अपनी पार्टी के लिए अच्छी सौदेबाजी की और 29 सीटें हासिल कीं। अब अगर रुझान परिणाम में बदले तो नई बिहार सरकार में भी वह अपनी अधिकतम भागीदारी के लिए नहीं अड़ेंगे, ऐसा संकेत कम ही है। ऐसे में नीतीश के लिए परेशानी खड़ी होने के पूरे आसार हैं। हालांकि, नीतीश के लिए राहत की बात है कि उनकी जदयू पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन करती दिखाई दे रही है। लेकिन, इससे चिराग को शायद ही कोई फर्क पड़े।

नीतीश को लेकर चिराग का नकारात्मक रुख पहले भी देखा जा चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो यह चरम पर था, जब उन्होंने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर नीतीश को दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर हरवाने में अहम भूमिका निभा दी थी। इन सीटों पर जीतने वोट से नीतीश के उम्मीदवार हारे, उससे ज्यादा वोट चिराग के उम्मीदवार को मिले थे।

इस चुनाव के नतीजों से नीतीश के सामने एक और मुश्किल खड़ी हो रही है। इस बार अगर भाजपा अपना सीएम बनाना चाहे तो नीतीश ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। नीतीश के सामने पाला बदलने का कोई विकल्प नहीं है। न ही उन्हें इतनी सीटें मिल रही हैं कि वह किसी शर्त पर अटल रह कर उसे मनवा सकें।

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