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ट्रंप टैरिफ पर भड़का चीन: भारत का किया सपोर्ट, US के राष्ट्रपति को बताया ‘बदमाश’

ट्रंप के टैरिफ पर अब चीन भी खुलकर भारत के साथ खड़ा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जमकर की आलोचना करते हुए चीनी राजदूत ने ट्रंप को बदमाश कह डाला है।

चीनी राजदूत शू फेइहोंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Photo - IANS)

Donald Trump Tariff: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत और रूस की दोस्ती रास नहीं आ रही है। ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले की भारत ही नहीं बल्कि उसके पड़ोसी देश भी आलोचना कर रहे है। इस पर चीन की भी तिखी प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन ने इस कदम को व्यापारिक उपायों का दुरुपयोग करार देते हुए अमेरिका की कड़ी आलोचना की है।

चीनी राजदूत ने ट्रंप को कहा- 'बदमाश'

ट्रंप के टैरिफ पर अब चीन भी खुलकर भारत के साथ खड़ा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जमकर की आलोचना करते हुए चीनी राजदूत ने ट्रंप को बदमाश कह डाला है। उन्होंने इसे वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब प्रधानमंत्री मोदी के संभावित चीन दौरे की अटकलें भी तेज हैं।

'बदमाश को अगर एक इंच दिया जाए तो…'

नई दिल्ली में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने गुरुवार को ट्रंप टैरिफ पर अपनी राय रखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर जोरदार हमला बोला है। शू फेइहोंग ने एक्स पर बिना नाम लिए लिखा, 'बदमाश को अगर एक इंच दिया जाए तो वह एक मील ले लेता है।' शू फेइहोंग ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और ब्राजील के राष्ट्रपति के मुख्य सलाहकार में हुई फोन कॉल का भी जिक्र किया है। बातचीत में वांग यी ने कहा कि दूसरे देशों को दबाने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। उन्होंने कहना है कि यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों को कमजोर करता है।

ट्रंप की नीतियों से अमेरिका-भारत के रिश्ते में बढ़ा तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के खिलाफ नई नीति ने दोनों देशों के बीच पिछले दो दशकों से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी में तनाव पैदा कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात को लेकर भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन के रूस के साथ ऊर्जा व्यापार पर नरमी बरती जा रही है। 'इंडिया नैरेटिव' की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को अमेरिका के दबाव में नहीं आने देगा।