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दिल्ली धमाकों से 37 दिन पहले शादी में बना फरीदाबाद टेरर ग्रुप, जानें कैसे जैश के पोस्टर से हुआ इसका भंड़ाफोड़

जानें कैसे कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काम कर रहे डॉक्टरों ने एक वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल बनाया और इसके तार पाकिस्तान स्थित आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े।

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Delhi Blast

जानें कैसे बना फरीदाबाद टेरर ग्रुप (फोटो- पत्रिका ग्राफिक्स)

राजधानी दिल्ली में सोमवार शाम को लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक के पास एक भयानक धमाका हुआ था जिसके चलते 9 लोगों की मौत हो गई। इस मामले की जांच करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान स्थित आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा भारत में संचालित एक नए वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का भंड़ाफोड़ किया। इस ग्रुप में डॉक्टर और प्रोफेसर जैसे कई पढ़े लिखे लोग शामिल थे जो भारत में बड़े स्तर पर आतंकी हमले करने की साजिश रच रहे थे। इस ग्रुप में शामिल छह डॉक्टरों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। आइए जानते है कि कैसे इन डॉक्टरों ने इस आंतकी समूह की नींव रखी और कैसे इनका पर्दाफाश हुआ।

7 डॉक्टरों समेत 13 लोग गिरफ्तार

इस समूह में शामिल 7 डॉक्टरों समेत 13 लोगों को अब तक गिरफ्तार कर लिया गया है। इसका संचालन फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से किया जा रहा था जो कि इन दिनों अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है। यह समूह मेडिकल प्रोफेशन और शैक्षणिक संस्था की आड़ में अपनी आंतकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा और यूपी के सहारनपुर सहित कई इलाकों से भी इस समूह के तार जुड़े हुए थे।

4 अक्टूबर को शादी के दौरान बना ग्रुप

जांच एजेंसियों के मुताबिक, यह समूह दिल्ली धमाकों से 37 दिन पहले 4 अक्टूबर को बनाया गया था। इस दिन सहारनपुर में डॉ. आदिल अहमद राठेर और डॉ. रुकैया की शादी थी। यहीं सभी डॉक्टर्स की आपस में मुलाकात हुई। इसमें शामिल खास महमानों की पहचान एजेंसियां कर रही थी। शादी के अगले ही दिन से इस नेटवर्क ने काम शुरु कर दिया था। इनका मुख्य काम पोस्टरों के जरिए फौजियों को धमकाना हथियारों की सप्लाई और पैसों का इंतजाम करना था। यह लोग मेडिकल प्रोफेशन की आड़ में अपने संगठन के लिए फंडिंग का इंतजाम कर रहे थे।

कश्मीर घाटी में फौजियों के खिलाफ पोस्टर लगाए

इस ग्रुप ने कश्मीर घाटी में फौजियों के खिलाफ पोस्टर लगाए। नौगाम इलाके में 19 अक्टूबर को जैश के यह पोस्टर देखने के बाद ही इस मामले की जांच शुरु की गई। इन पोस्टर्स में लिखा था कि, उम्मीद करता हूं आप सब लोग खैरियत से होंगे जो कुछ हमने अब तक आप तक पहुंचाया है, आप उस पर अमल करोगे। हम कुछ समय से देख रहे हैं कि आप लोग अब भी गुनाहों में लिप्त हो, इसलिए हम बस इतना कहना चाहते हैं कि जो काम आप शरीयत के खिलाफ कर रहे हो, उससे अब बाज आ जाओ, वरना शरीयत के मुताबिक हमारा एक्शन तय होगा।

अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाओ

पोस्टर में आगे लिखा था, कुछ लोग इन कामों में उन्हीं लोगों का साथ देते हैं, हम उनसे भी कहना चाहते हैं बाज आ जाओ, यह आख़िरी बार है, अब आप माफी के हकदार नहीं रहेंगे और इंशा अल्लाह जब वक्त आएगा, तो वे अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाएंगे। कुछ लोग अपनी दुकानों पर इन भारतीय दरिंदों को पनाह देते हैं, जिससे हमारे कामों में रुकावट आती है,इसलिए हम उन लोगों से भी खुलकर यह कहना चाहते हैं बाज आ जाओ, वरना उनके लिए भी सख्त एक्शन होगा। खास तौर पर श्रीनगर के नौम बनपोरा इलाके में ऐसे लोग ज्यादा हैं, जो इन भारतीय दरिंदों को अपनी दुकानों पर बिठाते हैं,उम्मीद करता हूं आप लोग समझ जाओगे।

50 अधिकारियों ने 60 CCTV कैमरों की फुटेज खंगाले

इन पोस्टरों पर 17 अक्टूबर की तारीख थी और यह कमांडर हनजला भाई के नाम से जारी किए गए थे। इसके बाद फिर से 27 अक्टूबर को भी करीब 25 पोस्टर लगाए गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत पुलिस टीमें हरकत में आई और पोस्टर लगाने वालों का पता लगाने के लिए 50 अधिकारियों ने 60 CCTV कैमरों के फुटेज खंगाले। इसी दौरान 31 अक्टूबर को डॉ. आदिल पोस्टर लगाने वाले इलका में घुमता हुआ एक फुटेज में देखा गया। जांच टीम ने आदिल के फोन को ट्रैक किया जिससे पता चला कि वह पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में है। इसके बाद पुलिस ने तुरंत उसकी लोकेशन ट्रैक की तो उसके उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में होने की जानकारी मिली।

6 नवंबर को आदिल गिरफ्तार, 9 को शकील

पुलिस ने आदिल की लोकेशन पर छापेमारी की और 6 नवंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से एक AK-47, ग्रेनेड और विस्फोटक बरामद किया था। पुलिस पूछताछ के दौरान आदिल ने हरियाणा के फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से इस समूह को संचालित करने वाले डॉ. मुजम्मिल शकील के बारे में पुलिस को जानकारी दी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 9 नवंबर को फरीदाबाद से शकील को गिरफ्तार किया। वह एक किराए के मकान में रह रहा था जहां से पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री (लगभग 300-350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट), असॉल्ट राइफलें (AK-47 जैसी), पिस्तौलें और गोला-बारूद बरामद किए।

जैश-ए-मोहम्मद की नई महिला विंग की भारत प्रमुख है शाहीन

शकील के साथ साथ नेटवर्क की सदस्य डॉ. शाहीन सईद को भी इसी दिन गिरफ्तार करके श्रीनगर लाया गया। शाहीन, शकील के साथ अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करती थी और वह इस ग्रुप की सबसे अहम सदस्य मानी जा रही है। यह दावां किया जा रहा है कि वह जैश-ए-मोहम्मद की नई महिला विंग की भारत की प्रमुख है और उसके सीधा संपर्क जैश के सरगना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर से है। जमात उल मोमिनात नामक इस महिला विंग की शुरुआत जैश ने कुछ ही महीनों पहले की थी और उसकी छोटी बहन सादिया इसकी जिम्मेदारी संभालती है। शाहीन ने इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की और फिर कानपुर मेडिकल कॉलेज में करीब सात सालों तक असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया। बाद में उसने अल-फलाह यूनिवर्सिटी ज्वाइन की जहां वह शकील के संपर्क में आई।

दिल्ली धमाका करने वाला आरोपी इसी ग्रुप का सदस्य

दिल्ली में कार धमाका करने वाला आतंकी डॉ. उमर नबी भी इसी समूह का सदस्य था। वह और डॉ. शकील कश्मीर के पुलवामा जिले के कोइल गांव के रहने वाले थे और उन्होंने साथ में ही डॉक्टर की पढ़ाई की थी। दोनों के घर सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर थे। इस वाइट कॉलर टेरर ग्रुप के जरिए यह दोनों अपने अन्य साथियों के साथ मिल कर देश में बड़े धमाके करने की साजिश कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार, यह बात डॉ. शाहीन ने पुलिस पूछताछ में कबूल की है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया और पहले ही इनका पर्दाफाश कर दिया। जिसके बाद शकील, शाहीन और आदिल को गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी गिरफ्तारी के बाद ही उमर ने दिल्ली में ब्लास्ट कर दिया जिसमें उसकी मौत हो गई।