दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग लड़के के साथ कुकर्म करने वाले व्यक्ति को 15 साल की सजा सुनाई है। बच्चे के साथ साल 2019 में कुकर्म हुआ था। इस मामले में अब फैसला आया है।
साकेत कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अनु अग्रवाल ने 31 जुलाई को अपने आदेश में कहा कि लड़के भी लड़कियों की तरह ही यौन शोषण के प्रति संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह माना जाता है कि केवल लड़कियों पर यौन हमला हो सकता है, लेकिन यह एक भ्रम है।
न्यायाधीश ने कहा कि पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम सभी बच्चों को यौन उत्पीड़न के अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया था।
यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो, यौन शोषण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
एएसजे अग्रवाल 23 जुलाई को दोषी के खिलफ इस मामले में दलील सुन रही थीं। उसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया था।
सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) अरुण के।वी। ने बहस के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला दिया।
इसमें उल्लेख किया गया था कि लगभग 54.68 प्रतिशत बाल यौन उत्पीड़न के शिकार लड़के हैं। एपीपी ने यह भी उल्लेख किया कि लड़के भी लड़कियों की तुलना में यौन शोषण के प्रति समान रूप से संवेदनशील हैं।
इसपर अदालत ने कहा कि यौन शोषण का शिकार हुए लड़के को जो मानसिक पीड़ा पहुंची है, वह यौन शोषण के अन्य पीड़ितों जैसा ही है।
वे इस तरह की घटना के बाद से तनाव विकार से गुजरते हैं। अदालत ने आगे यह भी कहा कि लड़के सामाजिक ढांचे के कारण शर्मिंदगी महसूस करते हैं।
Published on:
12 Aug 2025 09:46 am