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Income Tax Bill 2025: सरकार ने वापस लिया इनकम टैक्स बिल, 11 अगस्त को होगा पेश, क्या टैक्स स्लैब में होगा बदलाव

Income Tax Bill 2025: आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से अधिक संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से अधिक शब्द हैं। यह बहुत जटिल हो गया है। नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है।

भारत

Ashib Khan

Aug 08, 2025

Income Tax Bill 2025: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को इनकम टैक्स बिल 2025 को वापस ले लिया है। इसके बदले सरकार अब नया बिल लेकर आएगी। सरकार ने यह बिल 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया था। नए बिल में बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सलेक्ट कमेटी द्वारा की गई ज्यादातर सिफारिशों को शामिल किया जाएगा। सदन में नया बिल 11 अगस्त को पेश किया जाएगा।

क्यों लिया वापस

लोकसभा से इनकम टैक्स बिल को वापस क्यों लिया है इस पर अधिकारियों ने जानकारी दी है। अधिकारियों के मुताबिक इस बिल के वापसी का उद्देश्य कानून के विभिन्न संस्करणों के कारण उत्पन्न भ्रम से बचना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सांसदों के पास सभी प्रस्तावित परिवर्तनों को दर्शाने वाला एक समेकित मसौदा है।

क्या टैक्स स्लैब में भी होगा बदलाव

बता दें कि यह नया विधेयक 6 दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। लोकसभा में इस विधेयक को वापस लेने के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया जा सकता है? हालांकि इस पर आयकर विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि नए बिल में टैक्स स्लैब को लेकर कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।

क्यों खास है नया इनकम टैक्स बिल

बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा के मुताबिक नया कानून पारित होने के बाद भारत की दशकों पुरानी कर संरचना को सरल बनाएगा, कानूनी भ्रम को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं और एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद करेगा।

Income Tax Bill 1961 में 4 हजार से अधिक हुए संशोधन

बीजेपी सांसद ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से अधिक संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से अधिक शब्द हैं। यह बहुत जटिल हो गया है। नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है - जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं अधिक आसान हो गया है।

छोटे व्यापारियों को होगा फायदा

बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि इस सरलीकरण का सबसे बड़ा लाभ छोटे व्यापारियों और एमएसएमई को होगा, जिनके पास जटिल टैक्स संरचनाओं से निपटने के लिए अक्सर कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञता का अभाव होता है।