जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार दोपहर बादल फटने से आई बाढ़ ने भयंकर तबाही मचा दी है। चसोटी गांव में 14 अगस्त की दोपहर 12.30 बादल फटने के चलते चिनाब नदी में उफान आ गया जिसके चलते आसपास का पूरा इलाका जलमग्न हो गया। पहाड़ों से बह रहा तेज पानी अपने साथ मकान, दुकान, गाडियां और कई लोगों की जिंदगी भी बहा कर ले गया। अब तक इस घटना में 65 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सैंकड़ों लोग घायल है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने की पुष्टि भी की है। दुर्घटना में मारे गए लोगों में 21 शवों की पहचान भी हो चुकी है।
मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे है। पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, उन्हें लगता है कि अभी भी 500 लोग मलबे में फंसे है, वहीं पार्टी मेंबर ने 100 लोगों के फंसे होने की बात कही। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें युद्ध स्तर पर बचाव कार्य कर रही है और अब तक 167 लोगों को बचाया जा चुका है। घटना के बाद पीएम मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से फोन पर बात की और हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह लगातार परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए है।
चसोटी गांव मचैल माता यात्रा का पहला पड़ाव है। यह यात्रा हर साल अगस्त के महीने में होती है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है। गुरुवार को जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु चसोटी गांव पहुंचे थे उसी दौरान यह हादसा हुआ। यात्रा के शुरुआती पॉइंट पर यह बादल फटा जिसके चलते सभी श्रद्धालुओं और उनके वाहन, टेंट, और उनके अन्य सामान समेत आस पास मौजूद दुकानें भी पानी के साथ बह गई।
यह हादसा बहुत ही खतरनाक था और इससे प्रभावित लोगों को भयानक शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी चपेट में आने वाले लोगों के फेफड़ों तक में कीचड़ भर गया और उनकी पसलियां और अन्य अंग पूरी तरह टूट गए है। बचाव टीमों को मिल रहे शव बहुत ही बूरी अवस्था में है और कई तो बूरी तरह से खून में लथपथ है। मलबे में फंसे लोगों को तेजी से बचाने की कोशिश की जा रही है और उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।
इस घटना का सामना करने वाले लोगों के दिलों में भारी दहशत पैदा हो गई है। इस दुर्घटना की आपबीती बता लोग कांप उठे और उन्होंने कहा कि वह इस तबाही के मंजर को कभी नहीं भूल पाएंगे। घटना के बारे में बात करते हुए मध्यप्रदेश के उज्जैन से आए एक यात्री ने बताया कि, हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन हमें अंदाजा नहीं था कि यह इतनी बड़ी आपदा में बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि हम किसी तरह अपनी जान बचा कर निकले है और कभी इस हादसे को नहीं भूल पाएंगे। वहीं एक अन्य पीड़ित ने कहा, अचानक ब्लास्ट की आवाज आई और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर उधर भागने लगे और मैंने भी तभी भाग कर अपनी जान बचाई।
Published on:
15 Aug 2025 04:29 pm