MS Swaminathan's Evergreen Revolution: भारत में हरित क्रांति के जनक मनकोंबु संबाशिवन स्वामीनाथन को हम एमएस स्वामीनाथन के नाम से भी जानते हैं। बचपन से ही कृषि में विशेष रुचि रखने वाले स्वामीनाथन ने 'एवरग्रीन रिवॉल्यूशन' (Evergreen Revolution) की ऐसी अवधारणा दी जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि के बारे में थी। कृषि क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, डॉ. एमके संबासिवन, एक सर्जन और महात्मा गांधी के अनुयायी थे, जिन्होंने स्वदेशी और मंदिर प्रवेश आंदोलनों में हिस्सा लिया।
बचपन से ही स्वामीनाथन का किसानों और खेती के प्रति गहरा लगाव था। 1943 में बंगाल अकाल (Bengal Femine 1943) ने स्वामीनाथन को बहुत आहत किया, जिसमें लाखों की संख्या में लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। इस घटना ने उन्हें कृषि विज्ञान के क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। स्वामीनाथन ने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से जूलॉजी में स्नातक और मद्रास विश्वविद्यालय से कृषि विज्ञान में डिग्री हासिल की।
इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) से साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। 1952 में उन्होंने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की, जहां उन्होंने आलू की प्रजातियों पर शोध किया। इसके बाद, वे नीदरलैंड और अमेरिका में भी शोध के लिए गए और वहां पर उन्होंने फसलों की कीट और ठंड प्रतिरोधी क्षमता पर काम किया।
भारत में 1960 के दशक में खाद्यान्न की भारी कमी थी। स्वामीनाथन ने अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ मिलकर उच्च उपज वाली गेहूं और चावल की किस्में विकसित कीं, जो भारत की हरित क्रांति की नींव बनीं।
स्वामीनाथन के नेतृत्व में 1966 में मेक्सिको से भारत में 18,000 टन गेहूं के बीज आयात किए गए, जिसके परिणामस्वरूप देश की गेहूं उत्पादन क्षमता 1967 में 5 मिलियन टन से बढ़कर 1968 में 17 मिलियन टन हो गई। इस कृषि क्षेत्र में इस ऐतिहासिक उपलब्धि की बदौलत भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना।
स्वामीनाथन ने 1972-79 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक और 1979-80 में कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1982-88 तक अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के महानिदेशक के रूप में भी योगदान दिया। 1988 में, उन्होंने चेन्नई में 'एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की, जो टिकाऊ कृषि और ग्रामीण विकास पर केंद्रित है।
कृषि क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने स्वामीनाथन को तीनों पद्म पुरस्कार दिए। सरकार ने उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और 2024 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। स्वामीनाथन को 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। इसके अलावा, उन्हें एचके फिरोदिया, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय और इंदिरा गांधी पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
स्वामीनाथन ने 'एवरग्रीन रिवॉल्यूशन' की अवधारणा दी, जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देती है। 28 सितंबर 2023 को 98 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
(स्रोत-आईएएनएस)
Published on:
06 Aug 2025 05:42 pm