Asaduddin Owaisi attacks PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से 2025 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रशंसा करने पर विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं ने पीएम मोदी पर स्वतंत्रता संग्राम का अपमान करने और संगठनात्मक लाभ के लिए राष्ट्रीय आयोजन का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख के अलावा कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने भी हमले का नेतृत्व किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन और संघ को खुश करने का प्रयास बताया। मोदी ने आरएसएस के 100 साल पूरे होने को दुनिया के सबसे बड़े एनजीओ की बहुत गौरवशाली और शानदार यात्रा बताया।
ओवैसी ने आरएसएस की प्रशंसा को स्वतंत्रता संग्राम का अपमान बताया और आरोप लगाया कि संघ और उसके सहयोगी ब्रिटिश सैनिकों की तरह काम करते हैं और वे अंग्रेजों का जितना विरोध करते थे, उससे कहीं अधिक गांधी से नफरत करते हैं।
एक्स पर एक पोस्ट में ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व की विचारधारा बहिष्कार में विश्वास करती है और हमारे संविधान के मूल्यों के विपरीत है। मोदी एक स्वयंसेवक के तौर पर नागपुर जाकर आरएसएस की तारीफ़ कर सकते थे, तो प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें लाल किले से ऐसा क्यों करना पड़ा?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के आज के भाषण का सबसे परेशान करने वाला पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था—जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का घोर उल्लंघन है। यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने मोदी पर बासी, पाखंडी, नीरस भाषण देने, पुराने नारों को दोहराने और मापने योग्य परिणामों के रूप में बहुत कम देने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने एक कदम आगे बढ़कर आरोप लगाया कि आरएसएस की विरासत उपनिवेशवाद से लड़ने की नहीं है, बल्कि साथी भारतीयों के बीच नफरत और विभाजन फैलाने की है… फिर भी, प्रधानमंत्री मोदी आरएसएस को खुश करने के लिए कथित तौर पर 17 सितंबर, 2025 को अपनी सेवानिवृत्ति की योजना को रोक रहे हैं। संघर्ष से अलग रहने वाले संगठन के लिए वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति का अपमान करना अस्वीकार्य है।
सीपीआई(एम) के महासचिव एमए बेबी ने भी निशाना साधते हुए कहा कि यह बेहद अफ़सोस की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में आरएसएस की तारीफ़ की, एक ऐसे संगठन की जिसका ऐतिहासिक रिकॉर्ड संदिग्ध है। एक ऐसा संगठन जिसकी इन संघर्षों में कोई भूमिका नहीं रही और जिसने लगातार धार्मिक आधार पर राष्ट्रीय एकता को कमज़ोर करने की कोशिश की है। इस स्वतंत्रता दिवस पर आरएसएस की तारीफ़ करके, प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे शहीदों की स्मृति और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की भावना का अपमान किया है।
Updated on:
15 Aug 2025 04:50 pm
Published on:
15 Aug 2025 04:35 pm