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पं. ओझा का वैदिक साहित्य प्राचीन ज्ञान और विज्ञान की कुंजी: गुलाब कोठारी

राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति की ओर से आयोजित भाष्योपनिषद् सम्मेलन में पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पं. मधुसूदन ओझा एवं उनके साहित्य पर भाष्यों की समकालीन प्रांसगिकता पर चर्चा की।

भारत

Devika Chatraj

Aug 07, 2025

Gulab Kothari
गुलाब कोठारी (File Photo)

राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति की ओर से आयोजित भाष्योपनिषद् सम्मेलन में पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पं. मधुसूदन ओझा एवं उनके साहित्य पर भाष्यों की समकालीन प्रांसगिकता पर चर्चा की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उ‌द्बोधन में कहा कि पं. ओझा का वैदिक साहित्य प्राचीन ज्ञान और विज्ञान की कुंजी है। इसकी गहराई में आधुनिक भौतिक विज्ञान के भी सूत्र मिलते हैं। वेद एवं अन्य पुरातन साहित्य (वाङ्मय) को व्यष्टि भाव में उतारने के लिए पं. मधुसूदन की वैज्ञानिक दृष्टि ही मार्ग है। उन्होंने कहा कि पं. ओझा ने जीवन के प्रत्येक सूक्ष्म भाव की वैज्ञानिक व्याख्या की है।

उल्लेखनीय है कि पं. मधुसूदन ओझा वेदाध्ययन की वेदविज्ञान विद्या के प्रणेता है। जयपुर उनकी कर्मभूमि रहा है जहां उन्होंने अनेक ग्रंथों की संस्कृत में रचना की। गुलाब कोठारी उसी वेदविज्ञान परम्परा के अध्येता है। इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वानों ने शोधपत्र पढ़े। इनमें प्रो. जी शंकरनारायण, डॉ. नागराज, डॉ. लीनाचन्द्रा एवं डॉ. बुल्ति दास प्रमुख है। विद्वानों ने शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, व्यास आदि आचार्यों की भाष्य परम्परा पर आधारित विभिन्न ग्रंथों की विवेचना करते हुए उनकी उपादेयता पर रोशनी डाली।

राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति की ओडिशा पीठ के निदेशक डॉ. ज्ञानरंजन पंडा ने प्रस्ताव रखा कि गुलाब कोठारी की पुस्तक 'गीता विज्ञान उपनिषद्' पर उनके विद्यार्थियों की ओर से पीएच.डी. स्तर के शोध का कार्य भी होना चाहिए, जिसको समस्त एकत्रित विद्वान आचार्यों की ओर से सहमति भी प्रदान की गई। अन्त में कोठारी ने देशभर से आए आचार्यों को प्रमाणपत्र तथा स्मृति चिह्न प्रदान किए। डॉ. बुल्तिदास ने कार्यक्रम का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।