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‘मैं से हम की ओर ले जाता है संघ’…आरएसएस के शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने कही यह बात

आरएसएस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह संगठन राष्ट्र निर्माण में मदद के लिए चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। अपने भाषण के दौरान पीएम ने डॉ. हेडगेवार को भी याद किया।

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भारत

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Himadri Joshi

Oct 01, 2025

PM Modi at RSS centenary celebrations

आरएसएस शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री मोदी (फोटो- आईएएनएस)

दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। पीएम मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो राष्ट्र निर्माण में मदद के लिए चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। यह लोगों में मैं के बदले हम की भावना पैदा करता है।

मैं इस समारोह का हिस्सा बन कर अत्यंत गौरवान्वित - पीएम

पीएम ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल बताया। उन्होंने कहा, मैं आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। पीएम मोदी ने आगे कहा, अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र निर्माण का विराट उद्देश्य लेकर चल रहा है। संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का रास्ता चुना। इस रास्ते पर सतत चलने के लिए नित्य और नियमित चलने वाली शाखा के रूप में कार्य पद्धति को चुना।

डॉ. हेडगेवार को किया याद

अपने संबोधन के दौरान पीएम ने संघ के संस्थापक, डा केशव राव बलीराम हेडगेवार को भी याद किया। उन्होंने कहा, डॉ. हेडगेवार जानते थे कि हमारा राष्ट्र तभी सशक्त होगा, जब हर व्यक्ति के भीतर राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध जागृत होगा। हमारा राष्ट्र तभी ऊंचा उठेगा, जब भारत का हर नागरिक राष्ट्र के लिए जीना सीखेगा। इसलिए वे व्यक्ति निर्माण में निरंतर जुड़े रहे। उनका तरीका अलग था। हमने बार-बार सुना है कि डॉ. हेडगेवार जी कहते थे कि जैसा है, वैसा लेना है। जैसा चाहिए, वैसा बनाना है।

डॉ. हेडगेवार सामान्य लोगों को चुन कर उन्हें तैयार करते थे

उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा, लोग संग्रह का उनका यह तरीका अगर समझना है तो हम कुम्हार को याद करते हैं। जैसे कुम्हार ईंट पकाता है तो जमीन की सामान्य-सी मिट्टी से शुरू करता है। वह मिट्टी लाता है और उस पर मेहनत करता है। उसे आकार देकर तपाता है। खुद भी तपता है और मिट्टी को भी तपाता है। फिर उन ईंटों को इकट्ठा करके भव्य इमारत बनाता है। ऐसे ही डॉ. हेडगेवार बहुत ही सामान्य लोगों को चुनते थे। फिर उन्हें सिखाते थे, विजन देते थे और उन्हें गढ़ते थे। इस तरह वे देश को समर्पित स्वयंसेवक तैयार करते थे।

यहां स्वयंसेवक की 'अहम् और वहम' की यात्रा शुरू होती है

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ के बारे में कहा जाता है कि इसमें सामान्य लोग मिलकर असामान्य अभूतपूर्व कार्य करते हैं। व्यक्ति निर्माण की यह सुंदर प्रक्रिया आज भी हम संघ की शाखाओं में देखते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा, संघ शाखा का मैदान एक ऐसी प्रेरणा भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की 'अहम् और वहम' की यात्रा शुरू होती है। संघ की शाखाएं व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी हैं। उन शाखाओं में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है। स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्र सेवा का भाव और साहस दिन प्रतिदिन पनपता रहता है।

स्वयंसेवकों के लिए त्याग और समर्पण सहज

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वयंसेवकों के लिए त्याग और समर्पण सहज हो जाता है। श्रेय के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना समाप्त हो जाती है। उन्हें सामूहिक निर्णय और सामूहिक कार्य का संस्कार मिलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल व जीवंत कार्य पद्धति यही संघ की 100 वर्ष की यात्रा का आधार बनी हैं।